राष्ट्रीय (02/04/2015) 
लापरवाही या भ्रष्टाचार?
मार्किट कमटी के अनुसार अब की बार भी गेहूं का समर्थन मूल्य 1350 रुपये प्रति क्विंटल
इसे मार्किट कमेटी की लापरवाही कहे या फिर इसमें भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, क्योंकि इस कमेटी के द्वारा किसानों को गेहूं का समर्थन मूल्य 1450 की बजाये 1350 रुपये प्रति क्विंटल बताया जा रहा है। गौरतलब है कि सरकार के द्वारा किसानों की फसलों का समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है। इस समर्थन मूल्य को कमेटी के द्वारा कमेटी के अन्दर व अनाज मंडियों में बोर्ड पर लिख कर दिखना होता है। इसके साथ- साथ बोर्ड पर सरकार के किसानों की फसल खरीदने के माप दण्ड भी दिखने होते है। इस वर्ष 15- 16 के लिये सरकार के द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 1450 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है,जबकि पिछले वर्ष सरकार के द्वारा वर्ष 14-15 के लिये गेहंू का समर्थन मूल्य 1400 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया था। हैरानी की बात है कि कमेटी कैथल के द्वारा कमेटी के अन्दर किसानों को मूल्य व माप- दण्ड दिखाने का जो बोर्ड लगाया गया है, वह बहुत पुराना है। जबकि इसको छ: महीने के अन्दर आई फसल पर बदलना जरूरी होता है। इतना ही नही कमेटी के द्वारा दो वर्ष पहले वर्ष 13-14 के लिये किसानों को गेहूं का जो समर्थन मूल्य दर्शाया गया था, वह भी केवल मूल्य के उपर एक छोटी सी चेपी लगाकर दर्शाया गया था। हो सकता है कि उस समय कमेटी के द्वारा पूरे बोर्ड के दाम का बिल बनाकर पास करवा लिया गया हो। इसके साथ- साथ यह भी आशंका पैदा होती है कि कही कमेटी के द्वारा गेहूं व धान के हर सीजन में किसानों को समर्थन मूल्य दर्शाने के नाम पर कई- कई बोर्ड बना कर बिल पास करवाकर सरकार को मोटा चुना तो नही लगाया गया हो। क्योंकि बोर्ड तो बनते ही। महेन्द्र, रिंकू आदि की मांग है कि इसकी जांच कि जाये कि  क्या यह कमेटी की लापरवाही है या भ्रष्टाचार के द्वारा सरकार को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
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