राष्ट्रीय (26/03/2015) 
मैं किसानो के दुःख को जनता हूँ-सुभाष बराला
चंड़ीगढ: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा है कि किसानों की समस्याओं से वे पूरी तरह से परिचित है क्योकि वे खुद एक किसान का बेटे है और गांव की माटी में पले-बढे है।
    आज यहां जारी एक ब्यान में बराला ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा 5 महीनों में किसानों के हित में लिए गए निर्णयों के विश्लेषण से एक बात साफ हो जाती है कि सरकार की कथनी-करनी एक है और किसानों के हित उनके लिए सर्वोपरि है।
    भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि उन्हें भली-भांती पता है कि जब बे-मौसम बादल गरजते हैं और बिजली कडक़ती है, तो किसान के दिल की धडक़न भी बढ जाती है। प्रदेश में 1 से 3 मार्च तथा फिर 7 व 8 मार्च को बेमौसमी वर्षा, ओलावृष्टि और आंधी-तूफान से रबी की फसलों का नुकसान हुआ है। प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने राहत के मानदण्डों में संशोधन करते हुए गिरदावरी करवाने में तत्परता दिखाई और प्रदेश के सभी किसानों को राहत पहुंचाने के लिए ब्याज मुक्त फसली ऋण देने, बिजली के बिल माफ करने, फसली ऋणों को दीर्घावधि ऋणों में बदलने के निर्णय लिए। इससे किसानों के हितों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता झलकती है।
    बराला ने कहा कि सरकार ने इस बात को भी महसुस किया कि फसल खराब होने पर किसान बिजली का बिल कहां से भरेगा, इसीलिए जिन किसानों की फसलों का खराबा 50 प्रतिशत से अधिक है, उनके पिछले 6 महीनों तथा आगामी 6 महीनों के कृषि के बिजली के बिल शत-प्रतिशत माफ करने का निर्णय लिया गया है। जिन किसानों की फसलों का खराबा 25 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत है, उनके  पिछले 6 महीनों तथा आगामी 6 महीनों के कृषि के बिजली के बिल 50 प्रतिशत माफ करने का निर्णय लिया गया है।
    हरियाणा के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि फसलें खराब होने पर किसी सरकार ने बिजली के बिल माफ किए हों। इस तरह की सिफारिश स्वामीनाथन रिपोर्ट में भी नहीं की गई है। किसानों के हितों का दम भरने वाले किसी भी राजनीतिक पार्टी ने फसलें खराब होने पर बिजली के बिल माफ करने की सोची तक नहीं।
    उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसान हित में एक ऐतिहासिक फैसला यह भी लिया है कि 1.3.2015 से 28.2.2016 की अवधि में जो किसान फसली ऋण लेंगे, उनसे कोई ब्याज वसूल नहीं किया जाएगा। इसका लाभ उन किसानों को भी मिलेगा, जिसकी फसल का एक दाना भी खराब नहीं हुआ।
     बराला ने कहा कि अभी तक जिन किसानों की फसलें 25 प्रतिशत तक खराब होती थी, उन्हें कोई राहत नहीं मिलती थी। किसान को पटवारी के रहमो-कर्म पर छोड़ दिया जाता था। यदि फसल 40 प्रतिशत खराब हुई और पटवारी 25 प्रतिशत लिख देता था, तो किसान बेबस था। किसान अपना काम ईमानदारी से करता है। पटवारी को रिश्वत देने की बजाय अपने भाग्य को कोसता रहता था। इस ओर न बंसी लाल ने सोचा, न देवी लाल ने सोचा, न भजन लाल ने सोचा और न भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने सोचा। लेकिन वर्तमान हरियाणा सरकार ने किसान की इस पीड़ा को समझा है। सरकार ने फसलें खराब होने पर ब्याज मुक्त ऋण उस किसान को भी देने का निर्णय लिया है, जिसकी फसल का एक दाना भी खराब नहीं हुआ है। सरकार ने प्रदेश के सभी किसानों को ब्याज मुक्त फसली ऋण देने का भी फैसला लिया है।
    उन्होंने कहा कि फसलें खराब होने पर फसली ऋणों का पुन: निर्धारण नाबार्ड की हिदायतों के अनुसार किया जाता है। नाबार्ड हरको बैंक को 4.5 प्रतिशत की ब्याज दर से ऋण देता है और हरको बैंक आगे किसानों को 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण देता है। नाबार्ड ने यह हिदायतें जारी कर रखी हैं कि यदि पूरे गांव में 50 प्रतिशत से अधिक खराबा होता है तो उस गांव के सभी फसली ऋणों का पुन: निर्धारण किया जा सकता है।

    इन हिदायतों के चलते अगर कुछ किसानों की पूरी फसल भी खराब हो गई हो परन्तु पूरे गांव का खराबा 50 प्रतिशत से कम हो तो उन्हें कुछ भी नहीं मिलता। और दूसरी तरफ कछ उन किसानों को भी फायदा मिल जाता है जिनका कोई नुकसान नहीं हुआ पर पूरे गांव का खराबा 50 प्रतिशत से ज्यादा हो। किसान की इस दिक्कत को समझकर यह फैसला भी सरकार ने लिया है कि यदि किसी गांव में एक भी किसान की फसल खराब होती है तो भी उसके फसली ऋण का पुन: निर्धारण किया जाएगा,  जबकि यह फैसला नाबार्ड की हिदायतों के विपरीत है। इसलिए इसका वित्तीय भार राज्य सरकार वहन करेगी।
    बराला ने कहा कि फसलें खराब होने पर मुआवजा देने के लिए मानदण्ड केन्द्र सरकार निर्धारित करती है। सिंचित क्षेत्रों में फसलों का खराबा होने पर केन्द्र सरकार प्रति एकड़ 3644 रुपये मुआवजा देती है और वर्षा आधारित क्षेत्रों में फसलें खराब होने पर प्रति एकड़ 1822 रुपये मुआवजा देती है। हरियाणा सरकार ने अब गेहूं के लिए अधिकतम 10 हजार रुपये प्रति एकड़ और सरसों के लिए 7500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देना तय किया है चाहे क्षेत्र सिंचित क्षेत्र में हो या असिंचित क्षेत्र में।
    भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार के इन किसान हितैषी निर्णयों ने किसानों के हितों पर घडिय़ाली आंसू बहाने वाले राजनेताओं को आईना दिखाया है। जो राजनेता भाजपा को पूंजीपतियों की पार्टी, उद्योगपतियों की पार्टी, व्यापारियों की पार्टी कहते थे, उन्हें इन फैसलों से अहसास हो गया है कि यह पार्टी समाज के हर वर्ग की हित-चिंतक है।
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