राष्ट्रीय (07/01/2015) 
दो सगी बहनें बिना कोचिंग के जज के पद पर पहुंची
बेटियों के गौरव व मान-सम्मान को बढ़ाया,हरियाणा में विभिन्न न्यायालयों में जज के पद पर आसीन होकर अन्य लाडलियों को भी प्रेरित कर रही हैं

हरियाणा, कैथल, जिला के सीवन गांव की 2 सगी बहनों ने बिना कोचिंग के जज के पद पर पहुंचकर बेटियों के गौरव व मान-सम्मान को बढ़ाया है। अर्चना कोहली व वंदना कोहली अपनी मेहनत के दम पर आज हरियाणा में विभिन्न न्यायालयों में जज के पद पर आसीन होकर अन्य लाडलियों को भी प्रेरित कर रही हैं और यह संदेश दे रही हैं कि आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नही है। गांव सीवन के विजेंद्र कोहली व सुदेश कोहली ने अपनी दोनों बेटियों को शुरू से ही शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा माहौल दिया कि इन दोनों बेटियों में बचपन से ही जज बनने का जज्बा था, फिर क्या था कि बिना किसी कोचिंग के अपनी मेहनत के बल पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेना प्रारंभ किया और आखिर उनकी मेहनत रंग लाई। बड़ी बेटी अर्चना कोहली ने प्रारंभिक शिक्षा सीवन के डीएवी स्कूल से पास की, बाद में 10 वीं कक्षा राई स्कूल से पास की। दस जमा दो की परीक्षा डीएवी स्कूल सीवन से पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में दाखिला लिया। इसी विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक स्तर की परीक्षा पास करने के बाद सन 2011 में हरियाणा सिविल सेवा की न्यायिक परीक्षा में भाग लिया और अच्छे अंकों से इस परीक्षा को पास करके जज के पद पर पहुंची।

आजकल यमुनानगर में इसी पद  पर कार्य कर रही हैं। बड़ी बहन के जज बनने के बाद छोटी बहन वंदना कोहली में भी जज बनने का जज्बा जाग उठा और कड़ी मेहनत करके प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए बिना कोचिंग के ही तैयारी शुरू की। दस जमा दो की परीक्षा डीएवी स्कूल कैथल से पास करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की।

वंदना कोहली ने भी आखिर 2013 में हरियाणा सिविल सेवा न्यायिक परीक्षा पास करके यह प्रमाणित कर दिया कि आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नही है। वंदना कोहली वर्तमान में जिला फतेहाबाद के रतिया में जज के पद पर सेवारत है। आज एक ही मां-बाप की दो बेटियां जजों के पद पर होने के कारण अभिभावकों का रूतबा भी समाज में बढ़ गया है। इन दोनों बहनों के जज बनने से इस जिला की अन्य बेटियों को भी प्रेरणा मिली है, जिस कारण विभिन्न शिक्षण संस्थाओं की बेटियां प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करके आगे बढऩे के लिए जज बनने के सपने को साकार करने में लगी हैं। इन दोनों बहनों के जज बनने के बाद इनकी मां सुदेश रानी जोकि समेकित बाल विकास परियोजना में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर कार्यरत थी। मां के मन में भी उच्च शिक्षा का जज्बा पैदा हुआ और इन्होंने एमए ओटी पंजाबी करने के बाद राजकीय हाई स्कूल में प्राध्यापिका के पद पर नियुक्ति हुई। सुदेश रानी आजकल राजकीय हाई स्कूल सौथा में प्राध्यापक के पद पर कार्य कर रही हैं। इन दो बेटियों की मेहनत व उच्च शिक्षा की लग्र ने पूरे परिवार के वातावरण को बदल दिया। 

आज क्षेत्र में इन दोनों बेटियों की चर्चा हर व्यक्ति बड़े गर्व व मान-सम्मान के साथ करता है। हर बड़े समारोह में इन बेटियों की मेहनत व बिना कोचिंग के प्रतियोगिता परीक्षा पास करने का उदाहरण अन्य बेटियों को भी दिया जाता है। इसी कारण पिछले वर्ष जिला प्रशासन के रात्रि ठहराव कार्यक्रम के दौरान गांव सीवन में उपायुक्त ने अपनी दोनों बेटियों को जज के पद पर पहुंचाने के कारण मां सुदेश रानी को भी समारोह में सम्मानित किया। धन्य है ऐसी बेटियों के मां-बाप जिन्होंने अपनी बेटियों का लालन-पालन बेटों से भी बढ़कर किया, जिसके कारण ये दोनों बेटियां इस मुकाम तक पहुंचने में सफल हुई। इनके पिता श्री विजेंद्र कोहली पंजाब नेशनल बैंक में सेवारत हैं। मां सुदेश रानी व पिता बिजेंद्र कोहली को अपनी दोनों बेटियों के जज बनने पर नाज है।
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