राष्ट्रीय (01/01/2015) 
मेहनत व लगन से काम करें तो आसमान छू सकती हैं और हर असंभव काम को संभव बना सकती है बेटियां
कैथल, बेटियां यदि मजबूत इरादों के साथ मेहनत व लग्र से काम करें तो आसमान छू सकती हैं और हर असंभव काम को संभव बना सकती है। यही बात चरितार्थ की है जिला के गुहणा गांव की बेटी प्रिया चहल ने, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में मेहनत करके भारतीय वायुसेना में फ्लाईंग आफिसर के पद पर किया और इस जिला के साथ-साथ प्रदेश का नाम देश भर में रोशन किया। आज यह बेटी भारतीय वायुसेना में फ्लाईंग आफिसर के रूप में हवाई जहाज को उड़ाकर बेटियों के गौरव व मान-सम्मान को बढ़ा रही है। इस बेटी की शानदार उपलब्धियों पर हरियाणा प्रदेश के सभी लोगों को गर्व है। बचपन से ही शिक्षा के क्षेत्र में होनहार प्रिया चहल का पालन-पोषण एक सैनिक परिवार में हुआ, जिस कारण इनका जीवन घर व स्कूल में अनुशासित रहा, क्योंकि इनके पिता चंद्र चहल सेना में सेवारत थे। इनकी एक बहन अंजु चहल व भाई हिमांशु चहल की भी शिक्षा सैनिक स्कूलों में हुई। प्रिया चहल की शिक्षा 10 जमा 2 तक हिमाचल प्रदेश के एक सैनिक स्कूल में हुई। बाद में पूना इंजीनियरिंग संस्थान में पढ़ाई के दौरान ही इनका चयन फ्लाईंग आफिसर के रूप में हुआ व कमीशन मिला। प्रिया चहल ने कठिन परिश्रम करते हुए भारतीय वायु सेना में पायलट के तौर पर अप्रैल 2011 में पद प्राप्त किया। उन्हें हैदराबाद में 15 दिसंबर 2012 को फ्लाईंग आफिसर के तौर पर भारतीय वायुसेना में नियुक्ति मिली। पासिंग आउट परेड में तत्कालीन चीफ आफ नेवल स्टाफ के एडमिरल डीके जोशी ने उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा। इस परेड में केवल दो महिला पायलट शामिल थी। भारतीय वायु सेना के प्रशिक्षण के बाद हवाई जहाज उड़ाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इनकी उपलब्धियों व योग्यताओं को देखते हुए जिला प्रशासन ने गांव सौंगल के रात्रि ठहराव कार्यक्रम में सम्मानित किया। इस सम्मान समारोह में प्रिया चहल के साथ-साथ इनका पूरा परिवार मंच पर उपस्थित रहा। इस सम्मान से जिला की दूसरी लड़कियों को भी प्रोत्साहन मिला। शिक्षा के साथ प्रिया चहल बास्केट बाल खेल की भी अच्छी खिलाड़ी रही है। स्कूल समय में अंतर स्कूल प्रतियोगिताओं में बढ़चढ़ कर भाग लेती थी, जिस कारण से इनका आत्मविश्वास और साहस निरंतर बढ़ता चला गया। प्रिया चहल ने कालेज स्तर पर बास्केट बाल प्रतियोगिता में अहमदनगर का प्रतिनिधित्व किया। विभिन्न टेबल टेनिस मैच जीतने के साथ-साथ 2009-10 में कालेज स्तर की प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया। वर्ष 2003 में नाभा में उत्तर जोन अखिल भारतीय बास्केट बाल टुर्नामेंट में चौथा स्थान हासिल किया तथा 2006 में अंबाला के आर्मी पब्लिक स्कूल में आयोजित बास्केट बाल प्रतियोगिता में विजयी रही। इसके अतिरिक्त उन्होंने एथलैटिक्स में अनेक मैडल व प्रमाण-पत्र हासिल किए।  प्रिया चहल के पिता श्री चंद्र चहल ने बताया कि प्रिया चहल के जीवन में शिक्षा के दौरान स्कूल व घर में अनुशासन का विशेष महत्व रहा। प्रिया चहल ने अनुशासन के साथ-साथ अपने शिक्षा के क्षेत्र में भी कड़ी मेहनत की और आखिर इस मुकाम को हासिल किया। प्रिया का बचपन से ही सपना डिफैंस सर्विस रहा है। उन्होंने आत्मविश्वास एवं कड़ी मेहनत के दम पर अपने लक्ष्य की प्राप्ति की तथा कभी भी अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नही किया। प्रिया चहल के चाचा भी भारतीय फौज में जेसीओ के पद पर तैनात रहे हैं। प्रिया चहल की माता श्रीमती मूर्ति देवी ने हमेशा उन्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित किया है। उनकी दादी शांति देवी को अपनी पोती की उपलब्धि पर गर्व है।

कैथल, से राजकुमार अग्रवाल की रिपोर्ट
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