राष्ट्रीय (19/11/2014) 
हमें शर्म है कि हमारे गांव में पैदा हुए रामपाल
रोहतक की सीमा से सटे सोनीपत जिले के जिस गांव धनाना में खेलकूद कर संत रामपाल बड़े हुए, वहां के बाशिंदे संत से जुड़े विवादों को गांव की बदनामी मान रहे हैं। ज्यादातर ग्रामीणों का कहना है कि रामपाल कानून से बड़े नहीं हो सकते।
ग्रामीण कहते हैं कि गांव की करौंथा कांड में ही खूब बदनामी हुई और अब और भी ज्यादा हो रही है। आठवीं तक गांव में शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहां पढ़ाई की, इस बारे में कोई ज्यादा नहीं जानता। ग्रामीण बताते हैं कि रामपाल ने 25-30 साल पहले ही गांव छोड़ दिया था। वे अपना मकान भी बेच गए। गांव में केवल उनके चाचा का लड़का ही रहता है।
धनाना के लिए कुछ नहीं किया रामपाल ने ग्रामीण कहते हैं कि रामपाल कानून से ऊपर नहीं हो सकते। महिलाओं ने कहा, रामपाल के साथ गांव धनाना को जोड़ा जा रहा है। गांव का कोई लेना-देना नहीं है। जो करेगा, वह भरेगा। रामपाल ने गांव के लिए कभी कुछ नहीं किया। बच्चों और महिलाओं को ढाल नहीं बनाना चाहिए। संत का काम लोगों को मरवाना नहीं, बल्कि संस्कार देना होता है। दस हजार की आबादी वाले गांव के करीब ढाई सौ-तीन सौ लोग उनके अनुयायी हैं। वे बरवाला गए हुए हैं। ग्रामीणों को उनकी चिंता सता रही है। बलजीत जाट्यान ने बताया कि ग्रामीण तो चार-पांच बसें लेकर बरवाला में उन्हें लेने गए हुए हैं। कहा, जो लोग बरवाला गए हैं, उनकी धान की फसल कटाई पर है।
साथ दे सकते हैं, लेकिन कानून का पालन करे गांववासी जसवंत ने कहा कि गांव के होने के कारण गांव वाले उनका साथ भी दे दें, लेकिन रामपाल को कानून का पालन करना चाहिए। उन्हें कोर्ट में पेश होना चाहिए। गांव के सरपंच सुरेश ने कहा कि रामपाल को कानून का पालन करना चाहिए। कानून से कोई ऊपर नहीं हो सकता। सरपंच ने कहा कि 25-30 साल पहले रामपाल का परिवार गांव से बाहर जा कर रहने लगा।
देव भूमि के नाम से जानते हैं धनाना गांव को
ग्रामीणों का कहना है कि धनाना गांव देव भूमि के नाम भी जाना जाता है। लेकिन इस तरह की घटनाएं गांव को बदनाम करती हैं। गांववासियों के अनुसार गांव में बाबा मस्तनाथ का मंदिर व प्राचीन शिव मंदिर है। यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं। गांव में रामपाल का ज्यादा प्रभाव न होने का कारण पूछने पर गांववासियों ने कहा कि रामपाल अन्य धर्म गुरुओं सहित स्वामी दयानंद सरस्वती की आलोचना सरेआम करते रहे हैं। इसलिए लोगों में उनके प्रति आस्था नहीं है।
रोहतक में रामपाल के तीन मकान धनाना के रामपाल की संपत्ति रोहतक में भी है। हिसार बाईपास के समीप बसे लाल बहादुर शास्त्री नगर में उनके तीन मकान हैं। इसमें सबसे पुराना मकान रामपाल ने अपने एक अनुयायी को कथित रूप से बेच दिया है। स्थानीय लोगों की मानें तो बाकी दो मकान उनके बेटों के नाम हैं। आश्रम बनने के बाद उन्होंने कभी संत को इलाके में देखा ही नहीं। यहां बने मकानों में कभी कभार सत्संग होता था, लेकिन पिछले कुछ माह से तो ये मकान वीरान पडे़ हैं। सबसे पुराने मकान में कुछ प्रवासी किराएदार रहते हैं। किराएदारों ने बताया कि वे रामपाल को नहीं जानते।
मकान नंबर एक रामपाल 1997-98 में एक छोटे से मकान में गुजर-बसर करते थे। इसमें दो छोटे कमरे, एक बैठक के अलावा भैंस के लिए चारदीवारी और चारा काटने की मशीन लगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आश्रम बनने से पहले रामपाल खुद यहां परिवार के साथ रहते थे, लेकिन आश्रम बनने के बाद वे यहां नहीं आए। कभी-कभार आए हों तो वे नहीं जानते। लोगों की मानें तो रामपाल ने यह मकान सिंहपुरा गांव के एक भक्त को बेच दिया, अब यहां प्रवासी किराएदार रहते हैं।
मकान नंबर दो
रामपाल के पुराने मकान वाली गली में ही उनके बेटे मनोज का मकान है। यह मकान अभी कुछ समय पहले ही बनाया गया है। लोगों का कहना है कि उन्हें भी कभी-कभार ही यहां देखा गया। वे भी रामपाल के साथ आश्रम में रहते हैं। यहां भी सत्संग के दौरान ही भीड़ नजर आती थी। मकान नंबर तीन अत्याधुनिक सुरक्षा यंत्रों से लैस मकान रामपाल के बेटे वीरेंद्र के नाम बताया जा रहा है। यह मकान भी काफी समय से खाली पड़ा है। यहां सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे व द्वार पर माइक लगाया गया है। पड़ोस में रह रहे लोगों ने बताया कि कोई इस मकान से अधिक मतलब नहीं रखता।
मकान में बनी दुकानों के संचालक दो दुकानदारों ने बताया कि वे तो किराएदार हैं। उन्हें रामपाल के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे किराया देते हैं और अपना व्यवसाय चलाते हैं। उन्होंने तो रामपाल व उनके पुत्रों को कभी नहीं देखा।
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