राष्ट्रीय (21/12/2023) 
कुश्ती फेडरेशन के चुनाव में बृजभूषण के करीबी संजय सिंह जीते। ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने रोते हुए कुश्ती को कहा अलविदा।
नई दिल्ली, 21 दिसंबर। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनावों में पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के करीबी उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय सिंह ने एकतरफा जीत हुई है। अध्यक्ष पद के चुनाव में राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण से उनका मुकाबला था। संजय को बृजभूषण का करीबी माना जाता है। संजय सिंह को 47 में से 40 वोट मिले। इस तरह एक तरह से देखा जाए तो बृज भूषण शरण सिंह की जीत हुई है। उन पर पहलवानों ने शोषण सहित कई संगीन आरोप लगाए थे।

बजरंग और विनेश फोगाट के सामने अपने जूते उतारने की घोषणा की साक्षी ने।

इस जीत के साथ ही ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक कादयान ने कुश्ती को अलविदा कह दिया है। उन्होंने रोते हुए घोषणा की कि वह अब किसी भी तरह की प्रतियोगिताआंे मंे भाग नहीं लेगी। इसकी घोषणा आज उन्होंने प्रैस क्लब आफ इंडिया में बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट की उपस्थिति मंे की। 
बता दें कि अनिता को देश के शीर्ष पहलवानों का समर्थन हासिल है जिन्होंने बृजभूषण पर अपने कार्यकाल के दौरान महिला पहलवानों के कथित उत्पीड़न का आरोप लगाया था। माना जा रहा था कि असम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और ओडिशा के अलावा अन्य राज्य संघ संजय सिंह के पैनल के समर्थन में मतदान करेंगे। ओलिंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक तथा विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश फोगाट ने जंतर-मंतर पर बृजभूषण के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन की अगुआई की थी।
मालूम हो कि भारतीय कुश्ती फेडरेशन और पहलवानों के बीच यौन शोषणा को लेकर विवाद उठा था। जिसके बाद खेल मंत्रालय ने फेडरेशन को निलंबित कर दिया था। तथा तदर्थ कमेटी बनाकर उसको चुनाव करवाने का आदेश दिया था। 
मगर आज भारतीय कुश्ती फेडरेशन के चुनावों के परिणाम आते ही यौन शोषणा को लेकर धरने पर बैठक पहलवानों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई और बृजभूषण सिंह शरण के चहेते एक बार फिर से फेडरेशन में काबिज हो गए। 
मालूम हो कि खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ ने खिलाडियों से वादा किया था कि बृजभूषण के परिवार के किसी सदस्य या सहयोगी को चुनाव लड़ने की स्वीकृति नहीं दी जाएगी। इसी कारण बृजभूषण का बेटा प्रतीक और दामाद विशाल सिंह चुनाव में नहीं उतरे। बताया जा है कि संजय सिंह उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण के करीबी हैं लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने उनके नामांकन को स्वीकृति दे दी थी। अध्यक्ष के पद के अलावा एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष, चार उपाध्यक्ष, एक महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, दो संयुक्त सचिव और कार्यकारी परिषद के पांच सदस्यों के लिए भी चुनाव हुए।
जुलाई में शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया में अदालत में चलने वाले मामलों के कारण लगातार विलंब हुआ। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महासंघ यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग ने भी निर्धारित समय में चुनाव नहीं कराने के कारण डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया। उच्चमतम न्यायालय ने हाल में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा चुनावों पर लगाई रोक को खारिज कर दिया जिससे चुनाव कराने का रास्ता साफ हुआ। उच्चतम न्यायालय के चुनाव का रास्ता साफ करने के बाद निर्वाचन अधिकारी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एमएम कुमार ने चुनाव की तारीख घोषित की।
इससे पहले बृजभूषण ने कहा था, ‘आज 11 महीने बाद चुनाव हो रहे हैं। जहां तक संजय का सवाल है तो उन्हें पुराने महासंघ का प्रतिनिधि माना जा सकता है। संजय सिंह का चुनाव जीतना तय है। मैं उनसे जल्द से जल्द अनुकूल खेल माहौल बनाने और किसी भी नुकसान की भरपाई करने का आग्रह करता हूं।’ संजय डब्ल्यूएफआई की पिछली कार्यकारी परिषद का हिस्सा थे। वह 2019 से राष्ट्रीय महासंघ के संयुक्त सचिव भी थे। बृजभूषण ने कहा था, ‘जैसे कहा गया था कि मुझे अपने परिवार को चुनाव में शामिल नहीं करना चाहिए। इसलिए मैंने अपने परिवार से किसी भी व्यक्ति को चुनाव के लिए नामित नहीं किया।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि चुने गए प्रतिनिधि एकबार फिर से कुश्ती को उसके पुराने मुकाम तक पहुंचाने में सफल रहेंगे। 
दूसरी तरफ विनेश फोगाट ने कहा कि हमने युवा और आने वाले पहलवानों के इंसाफ के लिए अच्छी पहल की मगर हम हार गए। आज हम कुश्ती फेडरेशन के चुनाव परिणाम आने के बाद वह निराश हो गए है। अब वह अपने बातें किसके सामने रखेंगे पता नहीं। मगर पहलवानों की बातें हम आने वाले समय में भी उठाते रहेंगें

दिल्ली से विजय कुमार की रिपोर्ट।
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