विशेष (03/12/2023) 
टीचर्स फोरम ने दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री द्वारा केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखे गए पत्र की कड़े शब्दों में निंदा करता है।
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री द्वारा केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखे गए उस पत्र की कड़े शब्दों में निंदा की है जिसमें उन्होंने  पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया  यूजीसी व विश्वविद्यालय के मानदंडों पर नहीं होने का आरोप लगाया है । फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में पिछले एक दशक से शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण रूप से बंद है । जबकि दिल्ली सरकार से वित्त पोषित 16 कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है , इनके अन्य  4 सांध्य कॉलेजों में भी स्थायी नियुक्तियां की जा रही है ।  हाल ही में चार कॉलेजों -- भाष्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंस , दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज , आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज ,अदिति महाविद्यालय में स्थायी शिक्षकों के पदों को भरने संबंधी विज्ञापन जारी किए गए है । सरकार के इन कॉलेजों में लगभग 600 पदों पर स्थायी नियुक्ति की जानी है । इसके अलावा 7 कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपल नहीं है जो लंबे समय से कार्यवाहक प्रिंसिपल के सहारे चल रहे हैं । उन्होंने बताया है कि शिक्षकों के पदों में सबसे ज्यादा पद एससी / एसटी , ओबीसी , पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस कोटे के है ।  सरकार की मंशा है कि आरक्षित श्रेणी के पदों को नहीं भरा जाए । यहाँ पर  दस - बारह साल से शिक्षक व कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट , गेस्ट व एडहॉक के आधार पर कार्य कर रहे हैं जिन्हें दिल्ली सरकार कभी भी समय पर वेतन नहीं देती ।

             डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली की  शिक्षा मंत्री द्वारा पत्र में लिखा गया है कि इन कॉलेजों में वित्तीय अनियमितताएं है । डॉ. सुमन का कहना है कि मंत्री द्वारा लगाए गए  वित्तीय अनियमितताओं के आरोप बिलकुल निराधार हैं। प्रत्येक वर्ष सरकारी एजेंसियों के माध्यम से वित्तीय ऑडिट कराया जाता है । जहाँ तक नियुक्तियों का प्रश्न है शैक्षणिक व गैर- शैक्षणिक कर्मचारियों की सभी नियुक्तियाँ यूजीसी और विश्वविद्यालय के मानदंडों के अनुसार और शासी निकायों और दिल्ली सरकार की मंजूरी के माध्यम से होती हैं। उन्होंने बताया है कि प्रत्येक कॉलेज हर चार महीने व साल के अंत में दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को शिक्षकों , छात्रों व कर्मचारियों का डाटा भेजता है जिसके आधार पर वेतन व कॉलेज मेंटेनेंस का पैसा आता है । इसके अतिरिक्त कॉलेज में स्थायी पद , कितने पद भरे गए , खाली पदों का ब्यौरा , एससी , एसटी , ओबीसी , पीडब्ल्यूडी के पदों का ब्यौरा के साथ -साथ कितने पदों का बैकलॉग बनता है , जानकारी भेजी जाती है । उसी के आधार पर दिल्ली सरकार का उच्च शिक्षा विभाग शिक्षकों व कर्मचारियों के पदों की मंजूरी देता है । उनका कहना है कि दिल्ली सरकार ने पहले पदों को भरने की मंजूरी दी है तभी कॉलेज स्थायी शिक्षकों के पदों के विज्ञापन निकाल रहे है ।

          डॉ. हंसराज सुमन ने यह भी बताया है कि जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, तब से इन कॉलेजों की फंडिंग और गवर्नेंस की समस्या शुरू हो गई है। दिल्ली  सरकार द्वारा फंड में कटौती, वेतन के भुगतान में देरी और कर्मचारियों को बकाया राशि सहित अन्य बकाया का भुगतान कभी भी समय पर नहीं किया जा रहा है। उनका कहना है कि एक तरफ दिल्ली सरकार दलित , पिछड़ा हितैषी बनती है वहीं दूसरी तरफ जब दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह व केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान एससी /एसटी , ओबीसी व पीडब्ल्यूडी कोटे के पदों पर स्थायी नियुक्ति कर उनको सामाजिक न्याय व आरक्षण कोटा पूरा करना चाहते है तो वहीं दिल्ली की शिक्षा मंत्री स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया बाधित कर उसे रुकवाना चाहती है , उनकी मंशा है कि इन पदों पर गेस्ट टीचर्स , कंट्रेक्चुअल या एडहॉक टीचर्स ही कार्य करते रहे । फोरम ने दिल्ली के उपराज्यपाल से मांग की है कि वे इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें और पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय के हिस्से के रूप में बनाए रखें और समय पर फंडिंग सुनिश्चित करें , दिल्ली विश्वविद्यालय का शिक्षक आपके साथ है । 
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