स्वास्थ्य (10/05/2023) 
नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी ने विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया
थैलेसीमिया के निदान और प्रबंधन के लिए साक्ष्य-आधारित दिशानिर्देश"

डीजी आईसीएमआर ने आईएपी पीएचओ थैलेसीमिया गाइडलाइंस जारी की

सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 के साथ थैलेसीमिया उन्मूलन कार्यक्रम को एकीकृत करें- एनटीडब्ल्यूएस से आग्रह


नैशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी एंड ऑन्कोलॉजी चैप्टर (PHO) ने "थैलेसीमिया के निदान और प्रबंधन के लिए साक्ष्य-आधारित दिशानिर्देश" जारी किए। दिशानिर्देश डॉ राजीव बहल, भारत सरकार के सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और महानिदेशक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा जारी किए गए। 

डॉ जगदीश चंद्रा ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और कहा कि हम बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए डॉ राजीव बहल से बहुत उम्मीद करते हैं क्योंकि वह खुद एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं

डॉ. राजीव बहल डीजी आईसीएमआर ने कहा कि हाल के दिनों में सिकल सेल रोग (एससीडी) को अधिक महत्व मिला है लेकिन थैलेसीमिया भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि एससीडी की तरह थैलेसीमिया को भी उतना ही महत्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महत्व के सभी संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सेंटर होने चाहिए l

थैलेसीमिया भारत में 3-4% वाहक दर के साथ एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है। यह अनुमान लगाया जाता है की हर साल लगभग 10,000 से 12,000 नए थैलेसीमिया बच्चे पैदा होते हैं और लगभग 1,50,000 थैलेसीमिया रोगी जीवित रहने के लिए नियमित रक्त संचारण पर निर्भर होते हैं। जनता में जागरूकता पैदा करके, कैरियर स्क्रीनिंग और यदि आवश्यक हो तो प्रसव पूर्व निदान से थैलेसीमिया को रोका जा सकता है। 

थैलेसीमिया मेजर का जीवन, जीवन भर बार-बार रक्त चढ़ाने, आयरन चिलेटिंग एजेंटों (शरीर से अतिरिक्त आयरन को निकालने के लिए दवाएं) और नियमित निगरानी पर निर्भर करता है। वर्तमान में वैज्ञानिक जानकारी का स्रोत "अंतर्राष्ट्रीय" - थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन (टीआईएफ) दिशानिर्देश, "राष्ट्रीय" - भारत में हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और नियंत्रण पर एनएचएम दिशानिर्देश 2016 पर निर्भर करता है।

भारत में स्थितियां पश्चिमी देशों से भिन्न हैं इसलिए टीआईएफ की कई सिफारिशें हमारे देश में लागू नहीं की जा सकती हैं। एनएचएम दिशानिर्देश बहुत संक्षिप्त हैं और प्रबंधन के कई पहलुओं को शामिल नहीं करते हैं इसलिए थैलेसीमिया के प्रबंधन के लिए एक विस्तृत दिशानिर्देश की आवश्यकता थी जिसे पूरे भारत में विश्वास के साथ प्रयोग किया जा सके। 

डॉ. ममता मंगलानी चेयरपर्सन, डॉ. नीता राधाकृष्णन सह-अध्यक्ष और डॉ. जगदीश चंद्र चेयर, हेमोग्लोबिनोपैथिस सबग्रुप ऑफ इनफोग ने दिशानिर्देश तैयार करने के लिए आईएपी के पीएचओ चैप्टर के तत्वावधान में नेतृत्व किया।

डॉ ममता मंगलानी ने कहा कि हम प्राथमिक देखभाल, जटिलताओं के प्रबंधन के लिए प्रारंभिक रेफरल, व्यापक देखभाल, दीर्घकालिक निगरानी के साथ-साथ निवारक देखभाल के लिए थैलेसीमिया के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया की कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है और न ही कोई रजिस्ट्री है उन्होंने डीजी आईसीएमआर से जल्द से जल्द राष्ट्रीय रजिस्ट्री शुरू करने का आग्रह किया ताकि प्रत्येक नवजात थैलेसीमिया से पीड़ित या पहले से ही देखभाल के तहत थैलासीमिया रोगी का पंजीकरण हो सके।

आईएपी के अध्यक्ष डॉ. उपेंद्र किंजवाडेकर ने कहा कि अगर सभी सरकारी और निजी डॉक्टर इन दिशानिर्देशों का पालन करते हैं, यह पूरी तरह से गेम चेंजर होगा l

डॉ. अमिता त्रेहान अध्यक्ष पीएचओ आईएपी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में स्वास्थ्य देखभाल में पर्याप्त विषमता है और इष्टतम देखभाल सभी के लिए सुलभ नहीं है, इसके परिणामस्वरूप परिवारों और व्यवस्था पर भारी बोझ पड़ता है l

नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के महासचिव डॉ जे एस अरोड़ा ने कहा कि थैलेसीमिया रोगियों के इलाज के लिए एक समान प्रोटोकॉल की कमी के कारण कई रोगी जटिलताओं में फंस जाते हैं। हमें उम्मीद है कि ये साक्ष्य-आधारित दिशानिर्देश थैलेसीमिया के चिकित्सकों को पूरे भारत में थैलेसीमिया रोगियों को सर्वोत्तम संभव देखभाल प्रदान करने में मदद करेंगे ।

डॉ. नीता ने घोषणा की कि IAP ने PHO चैप्टर के साथ मिलकर थैलेसीमिया पर एक पोस्टर बनाया है, जिसे सभी बाल चिकित्सा और स्त्री रोग क्लीनिकों में प्रदर्शित किया जाएगा। आईएपी अध्यक्ष डॉ. किंजवाडेकर ने पोस्टर जारी किया। पोस्टर में प्रसूति-चिकित्सकों को सभी प्रसव-पूर्व कार्डों में HbA2 रिपोर्ट और बाल रोग-चिकित्सकों को टीकाकरण/स्वास्थ्य कार्डों में HbA2 रिपोर्ट जोड़ने के लिए कहा गया है ।

भारत के माननीय प्रधान मंत्री को "2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के लिए एक मिशन" शुरू करने के लिए धन्यवाद देते हुए, डॉ अरोड़ा ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस पर मैं माननीय पीएम से थैलेसीमिया उन्मूलन कार्यक्रम को सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 ” के साथ एकीकृत करने का अनुरोध करना चाहूंगा।  उन्होंने कहा कि सिकल सेल रोग और बीटा थैलेसीमिया की रोकथाम रणनीति समान है और भारत के कई हिस्सों में वे सह-अस्तित्व में हैं। एससीए के साथ थैलेसीमिया की पहचान लागत या मानव संसाधन पर अधिक बोझ डाले बिना की जा सकती है । इसे "2047 तक सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन" के लिए लक्षित कम से कम 17 राज्यों में शुरू किया जा सकता है। पोलियो उन्मूलन के बाद देश से एससीडी को खत्म करने के लिए भारत सरकार की यह सबसे बड़ी परियोजना है। इस मिशन में थैलेसीमिया को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए l
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