विशेष (22/04/2023) 
सादा सामुहिक निरंकारी शादियों ने प्रदर्शित किया एकत्व का सुंदर संदेश
दिल्ली, 22 अप्रैल, 2023:- संत निरंकारी मंडल के सचिव आदरणीय जोगिन्दर सुखीजा जी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज समाज कल्याण विभाग की ओर से मैरिज ग्राउंड, निरंकारी कॉलोनी, दिल्ली में सादा निरंकारी सामुहिक शादियों का एक ऐसा अनुपम दृश्य प्रदर्शित हुआ जिसमें भारत के विभिन्न प्रांतों जैसे दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब एवं उत्तराखण्ड राज्यों से आये हुए लगभग आठ नव युगल सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी की पावन हजूरी में परिणय सूत्र में बंधे और अपने मंगलमयी जीवन की कामना हेतु आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर वर-वधू के माता-पिता, सगे-सम्बन्धी एवं मिशन के अनेक श्रद्धालु भक्त अलौकिक दृश्य के साक्षी बने।

              सामुहिक विवाह कार्यक्रम का आरम्भ पारम्परिक जयमाला एवं निरंकारी शादी के विशेष चिन्ह सांझा-हार द्वारा हुआ। उसके उपरांत भक्तिमय संगीत के साथ निरंकारी लावों का गायन हुआ जिसकी प्रत्येक पंक्ति में नव विवाहित युगलों के सुखमयी गृहस्थ जीवन हेतु अनेक कल्याणकारी शिक्षाएं प्रदत्त थी। निरंकारी लावों के गायन के अंतर्गत ही सभी नव विवाहित युगलों पर सतगुरू माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी द्वारा पुष्प-वर्षा की गई और उनके सुखद जीवन हेतु भरपूर आशीर्वाद प्रदान किया गया। साथ ही वहां उपस्थित सभी जनों ने भी नव युगलों पर पुष्प वर्षा करके मंगल जीवन हेतु आशीष प्रदान किये।

             वार्षिक निरंकारी संत समागम का पावन अवसर हो या प्रांतीय संत समागमों का उसमें आयोजित होने वाली निरंकारी सामुहिक शादियां सदैव ही सादगी एवं एकत्व का सुंदर प्रतीक होती है जिसमें सम्मिलित होने वाला प्रत्येक युगल धर्म, जाति जैसी साम्प्रदायिक भावनाओं से ऊपर उठकर प्रेम एवं मिलवर्तन का सुंदर स्वरूप ही प्रदर्शित करता है।

            नव विवाहित जोड़ों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए सतगुरू माता जी ने फरमाया कि गृहस्थ जीवन का पालन एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए प्रेमपूर्वक जीवन जीये। दातार सभी के जीवन में सेवा, सुमिरन, सत्संग दे जो बढ़ता ही चला जाये और सेवा भाव में कभी कमी न आये। सांसारिक जीवन में भक्ति मार्ग पर चलकर एक दूसरे का आदर एवं सत्कार करे। जब हम अपने जीवन में निरंकार को प्राथमिकता देते है तब हमारे सारे कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाते है और जीवन में केवल प्रेम ही प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। फिर गृहस्थ जीवन में अहंकार का कोई स्थान नहीं रह जाता और एक दूसरे के प्रति समानता वाला भाव ही जागृत रहता है।

             अंत में सतगुरू माता जी ने सभी नव विवाहित जोड़ो के जीवन हेतु मंगल कामना करी और सुखमयी जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया।
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