विशेष (19/12/2022) 
डॉ.जीतराम भट्ट को मिला काशी विद्वत्परिषद् का प्रतिष्ठित सम्मान*
लोक-भाषाओं को साहित्य की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए एक ऐसा प्रयास, जिसे अखिल भारतीय स्तर पर काशी के विद्वानों का समर्थन मिला है। आदिगुरु शंकराचार्य की परम्पराओं का अनुसरण करने वाली अखिल भारतीय विद्वत्परिषद, काशी ने इस वर्ष हिन्दी अकादमी, दिल्ली एवं गढ़वाली,कुमाउनी व जौनसारी अकादमी के सचिव, दिल्ली संस्कृत अकादमी के पूर्व सचिव और प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, दिल्ली के निदेशक डॉ.जीतराम भट्ट की रचना *'नवरसरुचिरा'* को अपने प्रतिष्ठित महाकवि कालिदास काव्य-सम्मान के लिए चुना है। इस काव्य में लोक-गीतों के संस्कृत-संस्करण के साथ-साथ विभिन्न विषयों पर आधारित मधुर और सरस गीत व कविताएं भी प्रकाशित हैं। 194 शीर्षकों में विभक्त इस काव्य के सभी गीत सरल, गेय और लोकोपयोगी हैं। जैसे कि *'बेडु पाको बारमासा नारैण! काफल़ पाको चैत मेरि छैला' के लिए 'बेडु पच्यते द्वादशमासेषु नारायण! काफलं च चैत्रे प्रियतम! मम।'* और *'सची ऐ जा रे भानुमती पाबबजार' के लिए 'सत्यम् एहि रे भानुमते! पाबविपणिम्।'* तथा *'हो भिना! कसके जानू द्वारहाट' के लिए 'हे अबुत्त! कथं गच्छानि द्वारहाटम्।'* इसी प्रकार अनेक लोकगीतों को संस्कृत के सांचे में ढाला गया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी संस्कृत को जन-सामान्य में लोकप्रिय बनाने के लिए काव्य, गीत, कहानी, रेडियो, दूरदर्शन, बैण्ड, नाटक, संवाद, परिचर्चा, सांस्कृतिक गतिविधियां, उत्सव आदि नवाचारों के माध्यम से प्रयास करने के लिए सन् 2015 में अखिल भारतीय विद्वत्परिषद, काशी ने डॉ.जीतराम भट्ट को अपना राष्ट्रीय स्तर का प्रतिष्ठित विद्वद्भूषण सम्मान प्रदान किया था। इस सम्मान की प्रक्रिया भी अपने आप में विशेष इसलिए है कि वर्ष भर विद्वानों की कृतियों का अन्वीक्षण करके निर्णय होने के बाद सम्मान किये जाने वाले विद्वान को सूचित किया जाता है। परिषद का उद्घोष है कि 'सम्मान वही जो बिन मांगे मिले।' परिषद् द्वारा स्वयं देश-विदेश के विद्वानों की रचनाएं संगृहीत कर अपनी विद्वत्परिषद से उनका मूल्यांकन करवा कर सम्मान का निर्णय लिया जाता है। डॉ.जीतराम भट्ट ने गढ़वाली में 4, हिन्दी 5 और संस्कृत में 35 ग्रन्थों की रचना की है। इनके गढ़वाली उपन्यास *'जीतू बगड्वाल़'* पर आधारित नृत्य नाटिका का देश विदेश में अनेक मंचन हो चुके हैं। 
अखिल भारतीय विद्वत्परिषद काशी द्वारा शोध-संस्थान, नरिया, वाराणसी, उ.प्र. के विशाल परिसर में आयोजित भव्य अलंकरण समारोह में देश-विदेश के विद्वानों की उपस्थिति में डॉ. जीतराम भट्ट को यह सम्मान प्रदान किया गया। समारोह में परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.जयशंकर लाल त्रिपाठी , राष्ट्रीय महामंत्री डॉ.कामेश्वर उपाध्याय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। 

डॉ.गोकुलेन्द्र गोस्वामी संयोजक  ब्यूरो चीफ विजय गौड़ को बताया कि इस अवसर पर प्रो.राम पूजन पाण्डेय, प्रो.टी.पी.चतुर्वेदी, प्रो.प्रमोद कुमार दुबे , डॉ.राजेश्वरशास्त्री मुसलगांवकर, डॉ.रेखा उपाध्याय , डॉ.रामकेश्वर तिवारी, डॉ . कुलदीप सिंह सरीन, डॉ.धवल उपाध्याय. डॉ.विनय झा, प्रो.नागेन्द्र पाण्डेय सहित अनेक विद्वान उपस्थित थे।
दिल्ली से ब्यूरो चीफ विजय गौड़ की विशेष रिपोर्ट 

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