विशेष (13/11/2022) 
बच्चे सबकी जिम्मेदारी विषय पर परामर्श सत्र का हुआ भव्य आयोजन
बच्चे सबकी जिम्मेदारी नागरिक समाज और बाल अधिकारों विषय पर परामर्श सत्र का आयोजन  इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली के कमला देवी चट्टोपाध्याय सभागार में किया गया था। यह कार्यक्रम एआईएफ (एंथ्रोपोस इंडिया फाउंडेशन) के सहयोग से बीयूडीएस (बाल उमंग दृश्य संस्था) द्वारा आयोजित किया गया था। कुल मिलाकर 7 सत्र हुए जहां विशिष्ट अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों ने भारत में बाल अधिकारों को सुनिश्चित करने में नागरिक समाज की भागीदारी पर बात की और विचार-विमर्श किया। पूरे दिन विभिन्न पैनल में विभिन्न नागरिक समाज समूहों, कल्याण संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के अध्यक्षों और अध्यक्षों ने भाग लिया। पारिस्थितिक तंत्र में बच्चों की सुरक्षा के लिए बच्चों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक जुड़ाव पर एआईएफ, बीयूडीएस, आईसीएएनसीएल (भारतीय बाल दुर्व्यवहार उपेक्षा और बाल श्रम समूह) के शोधकर्ताओं, बाल रोग विशेषज्ञों, मनोचिकित्सकों और कार्यकर्ताओं और आरडब्ल्यूए (निवासी कल्याण संघ) द्वारा चर्चा की गई। )

इन  सत्रों में समाज के हाशिए के बच्चों और युवाओं को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए, इस पर विचार-विमर्श किया गया। हाशिए पर पड़े बच्चों के पुनर्वास के विभिन्न मॉडलों पर चर्चा की गई। अंतिम सत्र कार्यशाला का था। पैनलिस्टों और प्रतिभागियों को एक साथ रखा गया और 7 समूहों में विभाजित किया गया ताकि चर्चा की जा सके और यह समझा जा सके कि नागरिक समाज नीति निर्माताओं से शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास और सुरक्षा के अधिकारों की मांग कैसे कर सकता है। संगोष्ठी में नागरिक समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया- धार्मिक नेता, कानूनी पेशेवर, चिकित्सा पेशेवर, फ्रंटलाइन कार्यकर्ता, पुलिस, स्कूल शिक्षक, वंचित बच्चों के माता-पिता और युवा नेता। दिन की मुख्य अतिथि महिला एवं मुख्य विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री तृप्ति गुरहा थीं। उन्होंने कारा और हमारे देश में गोद लेने की शक्ति के बारे में बात की। भारत में बच्चे को गोद लेने के महत्वपूर्ण आंकड़ों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे सरकार ने गोद लेने की नीतियों में सुधार किया है ताकि बच्चे की सुरक्षा और एक पालक घर में विकास सुनिश्चित हो सके। संगोष्ठी को प्रभावी कहा जा सकता है क्योंकि यह विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सरकारी हितधारकों के साथ-साथ गैर-सरकारी कार्यकर्ताओं को एक साथ लाने में सफल रही, जिसमें विभिन्न नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने अच्छी तरह से भाग लिया।इस तरह के एक कारण के लिए तीनों दलों की भागीदारी निश्चित रूप से हमारे देश के वंचितों और हाशिए पर रहने वाले बच्चों के भविष्य के लिए उम्मीद जगाती है।
 कार्यक्रम की संयोजन समिति की प्रवक्ता प्रोफेसर (डॉ०) सुनीता रेड्डी ने ब्यूरो चीफ विजय गौड़ को बताया कि  कार्यक्रम में देश की जानी मानी हस्तियों विशेषकर बाल अधिकार संरक्षण के जागरूकता पर मिसाल के रूप में काम करने वाले शिक्षाविद एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भाग लेकर बाल अधिकार संरक्षण के प्रति जागरूकता पर अपनी आस्था का परिचय दिया जिसमें प्रमुख रूप से शामिल अतिथि वक्ता थे  डॉ० आमोद कंठ पूर्व महानिदेशक पुलिस एवं  संरक्षक प्रयास संस्था , पूर्व संयुक्त आयुक्त पुलिस दिल्ली पुलिस डॉ० यू० एन० राव चेयरमैन  · उर्वी विक्रम ट्रस्ट, डॉ राजीव सेठ, बीयूडीएस के प्रबंध न्यासी और बोर्ड के अध्यक्ष इंटरनेशनल सोसाइटी  फॉर द प्रिवेंशन ऑफ चाइल्ड एब्यूज एंड नेगलेक्ट (आईएसपीसीएएन),डॉ. राजेंद्र धर,  सदस्य, जिला उपभोक्ता न्यायालय दिल्ली सरकार एवं  पूर्व अतिरिक्त श्रम आयुक्त दिल्ली सरकार , डॉ. राजेश एसवाईपीएम और श्री हीरा लाल वांग्नू, इंटरनेशनल एसओएस (सेवानिवृत्त), डॉ प्रोफेसर आरएन श्रीवास्तव, सलाहकार आईसीएएनसीएल समूह और पूर्व अध्यक्ष आईएपी और डॉ प्रो उमा नायक, चेयर इलेक्ट,  ।
डॉ सुनीता रेड्डी, एसोसिएट  प्रोफेसर जेएनयू और अध्यक्ष, एंथ्रोपोस इंडिया फाउंडेशन ने कार्यशाला का सह-संयोजन  किया।  
दिल्ली से ब्यूरो चीफ विजय गौड़ की विशेष रिपोर्ट 
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