राष्ट्रीय (25/02/2016)
माँ और सफलता
1. जिंदगी जब बचपन से शुरु होकर आगे बढ़ती है तब पहला कदम बढ़ाने माँ कि ममता साहस देती है 2. यह पहला कदम जब एक लम्बी कदम चाल में डलता है तब मानव इसे चलना कहता है 3. इस कदम चाल के बल बूते जब बचपन माँ के आँचल से बाहर निकालता है तब संसार का भार व जिम्मेदारियों का दामन थामनां पड़ता है 4. जब चिंताओं से तू बिचलिता होता है तब माँ और लक्ष्य दोनों को खो देता है 5. क्या माँ की दी हुई शिक्षा व साहस की यह कमजोरी है या खुद की खुद से ही आँख मिचोली है 6. हार कर माँ के संस्कारों का तू दमन न कर सफर बहुत लम्बा है उठ, और इसका सामना कर 7. जब तुझे सताए भय या चिंता, तो आँख बंद कर, और माँ की उन प्यार भरी थपकियों को महशूस कर आगे बङ और उखाड दे चट्टानों की जड़। 8. तू इंसान है, इंसानियत का मांन रख सारा जहाँ होगा तेरे कदमों में एक दिन, बस आगे बड़ और धैर्य रख। 9. लक्ष्य मिले या न मिले लेकिन तेरी माँ के प्यार का स्तर तेरे मन से न हिले न डुले 10. खुद को पहिचान कर तू बार कर, एक बार खाली जाये तो सौ-सौ बार कर 11. मेहनत ही तेरा हक़ है यह मत भूल, क्यों की इसमें ही समाहित हैं तेरी किस्मत के फूल 12. जब एक दिन तू सफल होगा, तुझमें बदल सा सकल होगा। 13. तब तू दुनियां की रंगत में मत जाना घुल, सब कुछ उस बूढी माँ का आशीर्वाद है इस सच को मत जाना भूल। 14. आज बढ़ती दौलत के नशे पर तू गुमान न कर, उस डलती उम्र का भी तो ख्याल कर। 15. वह अधेड़ ही तो तेरी तरक्की की जमीन है, यह न समझ सका तो तू भावना हीन है। 16. सफल होने के लिए तूने मेहनत की वह तेरा स्वार्थ था, माँ ने सांस लेना तुझे सिखाया वह निस्वार्थ था। 17. एकांत का सहारा ले और याद कर तूने जो किया उसका फल तुझे मिला मगर माँ ने जो किया उसका क्या ? 18. आत्मां को झकजोर और पूंछ, क्या ठीक थी तेरी वो माँ को भूलने वाली सोच ? 19. माँ के दूध का कोई कतरा शायद तुझे सिखला पायेगा, कि सफलता को माँ के कदमों से जोड़कर ही तू सफल कहलायेगा, देवेन्द्र कुमार(अमन) |
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