राष्ट्रीय (25/02/2016) 
नव भारत नव परिचय
जलीया वाला वो महाभारत न होता,
तो आज दुनियां की नज़रों में भारत हमारा न होता
आजादी की खातिर भारत माँ के शेरों ने न जाने कितनी जंगों को जन्म दिया,
लेकिन साबरमती के संत ने पत्थर तक न छुआ 
फिरंगियों के शासन काल में भी अहिंषा के बल बूते पर हर जंग लड़ी,
देश की आन की खातिर उस डलती उम्र में भी आंदोलन के लिए उठाली थी छड़ी 
जब जब अंग्रेजों ने अत्याचार किया,
नेता जी ने तब तब मुहँ तोड़ जवाब दिया 
चढ़ा दिए भगत सिहं बलि की बेदी पर,
इंकलाब के नारे थे उनकी रशना पर
जब पहुंची यह खबर भारत में बच्चे बच्चे पर  
युवा से लेकर अधेड़ तक तैयार हुआ लड़ने आजादी के हक़ पर 
जब सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता के लिए सभाओं का दौर चला,
तब गांधी जी ने गोरों को भगाने का चक्रव्यूह रचा 
आखिर वह शुभ दिन चुन लिया गया,
हर माँ ने अपना वीर रणभूमि के लिए तैयार किया  
जब भारत माँ के वीर जवानों ने चक्रव्यूह को अंजाम दिया,
तब एक भी गोरा अर्जुन तो क्या अभिमन्यु न दिखा 
रणभूमि में लड़ाई का जब अंत हुआ 
इसमें अनगिनत शहीदों का देहांत हुआ 
यह घटना हंसने व रोने वाली थी 
क्यों कि 14 अगस्त की वह रात निराली थी 
आजादी का वह जश्न तिरंगे में लहराया, 
इसके लिए लड़ने वाला एक भी वीर न घर वापिस आया 
सच में शहीदों के उसे स्थाई आवास ने ही भारत माँ को आजाद कराया 
तब जाकर गांधी के आंदोलनों में एक स्थाई ठराव आया 
और भारत पूर्ण स्वतंत्र कहलाया  

                   अफशोस
आज की पीढ़ी शहीदों की इतनी बड़ी कुर्बानियों से अनजान है,
इसको अमिताभ और हनी सिहं की पहिचान है 
इसमें दोष सिर्फ पीड़ी का नहीं
क्यों कि स्कूल में भी बस यही ज्ञान है 
पाठ्य क्रम से इतिहास को हटाया है, 
तकनीकी, राजनीति, व सिनेमा जगत बढ़ाया है 
सरकार की इंजीनियरिग व तकनीकी को बढ़ावा देना मजबूरी है,
मगर वह यह क्यों नहीं समझती की इतिहास व देश भक्ति भी जरूरी है 
अगर ऐसा ही माहोल रहा, तो देश में अज्ञानता के अँधेरे से बस थोड़ी सी दूरी है 
देवेन्द्र कुमार(अमन)
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