बालाघाट । वर्ष 1965 के अकाल के बाद वर्ष 2015 में फिर से एक बार समूचे क्षेत्र में अकाल का साया मंडरा रहा है। बुर्जूगों की माने तो इतने ही सालों बाद ऐसा पहली बार हुआ है। जब जुलाई माह में नदियां, छोटे-छोटे तालाब और नहरें सूखी हुई है। और जलाशय सुख रहै। है। किसान पानी के अभाव मे खेती नहीं कर पा रहा है। जानकारों का कहना है कि अगर और एक सप्ताह बरसात नहीं हुई तो
खेतों में जैसे-तैसे बुआई की गई फसल भी सूख कर चौपट हो जाएगी। कृषकों की माने तो
हर साल 15 अगस्त के पूर्व फसल बुआई का काम पूरा कर लिया जाता था लेकिन इस वर्ष
बारिश नहीं होने के कारण वे लोग परेशान है। इस वर्ष महाकौशल से इन्द्रदेव रूठे हुए
है। मौसम लुकाछिपी का खेल खेल रहा है। बालाघाट जिले में अल्प वर्षा से कृषि पर
संकट मंडरा रहा है। किसानों के अनुसार अब तक जितनी वर्षा हुई है। वह खेती के लिए
पर्याप्त नहीं है। कटंगी तहसील में शहर और पठार अंचल में खेतों के बहुत बुरे हाल
है। यहा जिन किसानों ने मोटरपंपों के सहारे बुआई का काम पुरा कर लिया है। वे अब
अच्छी बारिश का इंतजार कर रहै। है। माना जा रहा है। कि अगर बरसात नहीं हुई तो बोई
गई फसल नष्ट हो जाएगी। बारिश नहीं होने की वजह से परेशान ग्रामीण अंचलों में
प्राचीन पद्धतियों से टोटकों कर इन्द्रदेव को खुश करने का काम कर रहै। है। बारिश के मौसम में लगातार धुप तपने के कारण बिमारियों का
प्रकोप भी बढ़ गया है। मच्छरों ने आंतक मचा रखा है। सरकारी अस्पताल और नीजि
क्लिीनिक मरीज भरे हुए है। चिकित्सकों की माने तो पेट दर्द की शिकायतें लेकर अधिक
मरीज आ रहै। है। चिकित्सकों ने इस मौसम में तेल से तली चीजों का सेवन कम करने तथा
शुद्ध साफ पानी पीने की सलाह दी है। |