राष्ट्रीय (29/07/2015) 
कृषि इंजीनियरिंग एंड प्रौद्योगिकी कालेज को मिली अनुसंधान की दो नई परियोजनाएं
हरियाणा: - चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कृषि इंजीनियरिंग एंड प्रौद्योगिकी कालेज को अनुसंधान की दो नई परियोजनाएं मिली हैं। इन परियोजनाओं के तहत गाजर खुदाई यंत्र का विकास एवं परीक्षण तथा धान की पराली के प्रबंधन की प्रौद्योगिकी का मूल्यांकन व इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जाएगा।
    विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि समय की जरूरत के अनुसार ये दोनों परियोजनाएं अति महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा की धान की कटाई के बाद इसकी पराली का सही ढंग से प्रबंधन करना एक बड़ी समस्या है। धान के बाद गेहूं की फसल लेने वाले किसान खेत को शीघ्र खाली करने के लिए इसको जलाने के लिए विवश हो जाते हैं। इससे न केवल प्रदूषण व ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ती है अपितु भूमि से सूक्ष्म तत्वों व कार्बन के हृास से भूमि की उपजाऊ शक्ति भी क्षीण हो जाती है। 
    उन्होंने बताया कि धान की पराली के प्रबंधन के लिए स्ट्रा बेलर, हे-रैक, पराली कटाई यंत्र जैसी मशीनें उपलब्ध हैं। इस परियोजना में पराली प्रबंधन की विभिन्न मशीनों की कार्यदक्षता, उनकी आर्थिक साध्यता तथा ऊर्जा खपत जैसे पहलुओं का मूल्यांकन करके उपयुक्त मशीनों को किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जाएगा। यह परियोजना भारत सरकार के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत प्रदान की गई है।
    प्रवक्ता ने बताया कि एक अन्य परियोजना के अंतर्गत गाजर खुदाई यंत्र के विकास एवं परीक्षण का कार्य किया जाएगा। फिलहाल गाजर की खुदाई की मशीन या यंत्र उपलब्ध नहीं है। किसान यह कार्य स्वयं करते हैं या फिर लेबर से करवाते हैं। इस विधि से भूमि में से गाजर निकालने की मुख्य रूप से दो बड़ी दिक्कते हैं। एक, इस क्रिया में समय ज्यादा लगता है तथा दूसरा, इनकी खुदाई करने के लिए लम्बे समय तक झुककर कार्य करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि गाजर खुदाई यंत्र विकसित होने से गाजर की खेती करने वाले किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। इस मशीन पर तेजी से कार्य चल रहा है तथा इसका आगामी गाजर की फसल में परीक्षण किया जाएगा।
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