राष्ट्रीय (13/07/2015) 
हरियाणा के सभी जिलो में 'आवंटी शिकायत निवारण फोरम' स्थापित करने का निर्णय
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज घोषणा की कि आवंटियों की कॉलोनाइजरस से सम्बन्धित शिकायतों को त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के मद्देनजर राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में 'आवंटी शिकायत निवारण फोरम' स्थापित करने का निर्णय लिया है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि सम्बन्धित जिला के उपायुक्त की अध्यक्षता में 'आवंटी शिकायत निवारण फोरम' स्थापित किए जाएंगे तथा इसमेें 13 अन्य सदस्य शामिल होंगे। इन सदस्यों में पुलिस अधीक्षक; प्रशासक, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा); आयुक्त, नगर निगम या कार्यकारी अधिकारी या सचिव, नगर परिषद या नगर पालिका; अधीक्षक अभियन्ता, हुडा; अधीक्षक अभियन्ता (ऑपे्रशन),हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लि0; अधीक्षक अभियन्ता (ऑपे्रशन),दक्षिण हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम /उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम; वरिष्ठ नगर आयोजक; जिला राजस्व अधिकारी; जिला रजिस्ट्रार(सोसायटियां)एवं संयुक्त/उप निदेशक, उद्योग विभाग शामिल होंगे। जिला नगर आयोजक फोरम के  सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेगा। 
उन्होंने कहा कि  'आवंटी शिकायत निवारण फोरम' स्थापित करने  का निर्णय इस लिए किया गया क्योंकि सीएम विण्डो पर आवंटियों के समक्ष आ रही समस्याओं पर कॉलोनाइजरस के विरूद्घ बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इसके अतिरिक्त, यह भी पाया गया है कि कई ऐसे मुद्दे है जो द्विपक्षीय प्रकृति के हैं। इन मुद्दों में प्लॉटस या फ्लैटस का कब्जा देने में देरी, फ्लैट के सुपर एरिया में परिवर्तन के कारण कॉलोनाइजरस एवं आवंटी के बीच हुए  समझौते के नियम एवं शर्तों का उल्लंघन, सुपर एरिया में बदलाव के कारण अधिक धन राशि लेना, बाह्य विकास शुल्कों एवं अन्तरिक विकास शुल्कों की अधिक वसूली, प्लॉटस या फ्लैक्टस की संख्या एवं आकार बदलना और कॉलोनाइजर द्वारा भवन निर्माण सामग्री के विनिर्देशों को बदलना शामिल है। ऐसे अन्य मामलों में अत्यधिक रखरखाव शुल्कों एवं क्लब शुल्कों की मांग, पार्किंग एरिया एवं कॉमन एरिया की बिक्री, मानचित्र में पार्किंग स्थल के चिह्नकन के साथ पार्किंग आवंटन पत्र उपलब्ध न करवाना, आरओ/फिल्ट्रेशन प्लांट चालू न करना, पर्याप्त मूलभूत सुविधाओं का प्रावधान न होना अर्थात आपसी समझौते के  अनुसार उनकी गुणवक्ता न होना, लिफ्टस जैसी मुख्य आधारभूत संरचनाओं का उचित रूप से कार्य न करना, पाइपड प्रकृतिक गैस उपलब्ध न करवाना, इंटरकॉम सुविधा न देना, सीसीटीवी नहीं चलना, क्लब सुविधा न होना, स्वीमिंग पूल का निर्माण न करना, राज्य बिजली बोर्ड से बिजली कनैक्शन उपलब्ध न करवाना, वैकल्पिक बिजली देेने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डीजी सैटस से अत्यधिक ध्वनि एवं वायु प्रदूषण होना, नकली सुरक्षा व्यवस्था और पार्किंग के लिए कॉमन एरिया का अतिक्रमण करना शामिल है। 
उन्होंने कहा कि 1975 का वर्तमान अधिनियम शहरी क्षेत्रों में सुनियोजित विकास को बढ़ावा देने और बेतरतीब विकास को रोकने का एक नियामक टूल है। इसलिए यह अधिनियम कॉलोनाइजस तथा प्लाट या फ्लैट क्रेता के बीच द्विपक्षीय  प्रकृति तथा अन्य सभी मुद्दों  से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने ऐसी कॉलोनियां विकसित करने वाले प्रमोटरस तथा अन्य लोगों के आचरण एवं ईमानदारी के सम्बन्ध में लोगों के हितों के संरक्षण और ऐसी कॉलोनियों पर सुचारू एवं त्वरित निर्माण एवं रखरखाव सुनिश्चित करने के मद्देनजर रियल अस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम का प्रारूप तैयार किया है। यह अधिनियम निर्माण कार्य को निर्धारित समय के भीतर पूरा करने की प्रमोटर की जिम्मेदारी निर्धारित करेगा। इस अधिनियम के लागू होने के उपरान्त यह प्लाटस या फ्लैटस के खरीददारों के हितों के संरक्षण में बहुत सहायक होगा। 
बहरहाल,यह महसूस किया गया है कि कुछ समय के लिए कुछ मुद्दों को जिला स्तर पर आपसी बातचीत या तालमेल से तेजी से सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अत: जिला स्तरीय 'आवंटी शिकायत निवारण फोरम' के माध्यम से इन शिकायतों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 
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