राष्ट्रीय (07/07/2015) 
आवश्यक खाद्य वस्तुओं एवं खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्घि के बारे हुई बैठक
नई दिल्ली -  हरियाणा सरकार ने केन्द्र सरकार से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि पर रोक लगाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाने का आग्रह किया है। इनमें रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की मांग एवं आपूर्ति में संतुलन बनाना और आवश्यकता होने पर इन वस्तुओं का निर्यात करना,जमाखोरी एवं कालाबाजारी को रोकने के लिए कड़े कानून बनाना और कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार करना शामिल है।
हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम बिलास शर्मा ने आज नई दिल्ली में आवश्यक खाद्य वस्तुओं एवं खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्घि बारे राज्यों के खाद्य मंत्रियों एवं सचिवों की बुलाई गई एक बैठक में बोलते हुए यह कहा। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने की। 
राम बिलास शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को हरियाणा राज्य में जनवरी,2014 से पूर्ण रूप से लागू किया जा चुका है।  राज्य सरकार  दाल रोटी योजना को भी लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि देश की खाद्य सुरक्षा मुख्यत: दो बातों पर निर्भर है। पहली यह कि देश की आबादी के अनुसार खाद्यान्नों का उत्पादन हो और दूसरा उत्पादित खाद्यान्न का वितरण पारदर्शिता के साथ आर्थिक रूप से पिछड़े उचित लाभार्थियों को दिया जाए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत  सभी लाभार्थियों के रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण करने के उपरान्त इन्हें केन्द्र सरकार के सार्वजनिक वितरण प्रणाली पोर्टल पर डाल दिया है। इस योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इन लाभार्थियों को आधार से भी जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में इस योजना से 128.11 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो रहे हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अन्त्योदय अन्न योजना में आने वाले 2.48 लाख परिवारों को 35 किलोग्राम गेहूं  2रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर और बाकी लाभानुभोगियों को 5 किलोग्राम गेहूं प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 2 रुपये की दर से उपलब्ध करवाया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले यह गेहूूं बीपीएल परिवारों को 5.20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध होता था । उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुये यह व्यवस्था की गई है कि परिवार की सबसे बड़ी महिला, जिसकी आयु 18 से वर्ष से अधिक हो, को खाद्यान्न प्राप्त करने के मामले में घर का मुखिया माना जाए। 
केन्द्र एवं राज्यों द्वारा उत्पादन, सप्लाई,आवश्यक वस्तुओं के वितरण और कृषि पदार्थों के आयात-निर्यात  के सम्बन्ध में एक संयुक्त रणनीति बनाकर कार्य करने का सुझाव देते हुए राम बिलास शर्मा ने बढ़ती कीमतों की समस्या से प्रभावी रूप से निपटने के लिए आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। 
उन्होंने कहा कि प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रीय एजेंसियां एवं जिला प्रशासन बढ़ती कीमतों पर कड़ी नजर रखे हुए है ताकि कोई असामाजिक तत्व आवश्यक वस्तुओं की बनावटी कमी, काला बाजारी या जमाखोरी न कर सके । इसलिए केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार प्रदेश में दालों,खाद्य तेल एव तिलहन तथा चीनी के लिए स्टाक  सीमा निर्धारित की गई है जिसकी समय-समय पर जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि हालांकि गत कुछ महीनों के दौरान प्याज एवं आलू के मूल्यों में वृद्घि हुई है लेकिन फिर भी हरियाणा में इनकी उपलब्धता में कमी नहीं आई है। 
उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली से सटा होने के कारण हरियाणा आवश्यक  वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। इन वस्तुओं की मांग एवं आपूर्ति के अंतर को पाटने  के लिए केन्द्र सरकार को इनका आयात करना चाहिए। यदि केन्द्र सरकार को यह लगता है कि इन वस्तुओं की जमाखोरी की जा रही है तो केन्द्र सरकार को कड़े कानून बनाने चाहिए। उन्होंने उत्पादन बढ़ाने के लिए एक दीर्घावधि योजना बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। 
शर्मा ने कहा कि गत कुछ वर्षों के दौरान हरियाणा में गेहूं एवं चावल के उत्पादन को आधुनिक तकनीकों को उपयोग करके बढ़ाया गया है। रबी मौसम 2015 के दौरान 113.99 लाख मीट्रिक टन गेहंू का उत्पादन हुआ, जिसमें से 67.53 लाख मीट्रिक टन गेहूं केंद्रीय अन्न भण्डार में दिया गया। इस खाद्यान्न को सार्वजनिक वितरण प्रणाली, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए प्रयोग किया जाएगा। खरीफ,2014 में प्रदेश के किसानों ने 57.78 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन किया। इसमें से 29.98 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर 19.73 लाख मीट्रिक टन चावल केन्द्रीय पूल में दिया गया है। 
  उन्होंने कहा कि राज्य में खाद्यान्नों की कोई कमी नहीं है और 15 जून, 2015 की स्टाक रिपोर्ट के अनुसार 80.49 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 3.19 लाख मीट्रिक टन चावल भण्डार में है। हरियाणा गेहूं एवं चावल उत्पादन में देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है जिसके कारण बहुत कम क्षेत्र पर दलहन, तिलहन और सब्जियां उगाई जाती हैं। इसी कारण,दालों, खाने का तेल, सब्जियों और चीनी का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा में दूसरे राज्यों से आता है। इन आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में मौजूदा वृद्घि हरियाणा के लिए एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अन्त्योदय एवं गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे 10.69 लाख परिवारों को 2.5 किलो दाल प्रति परिवार 20 रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध करवाई जा रही है। मार्च, 2015 तक कुल 55737 मीट्रिक टन दालों का वितरण इन परिवारों को किया गया है। इसके अतिरिक्त, गरीबी रेखा से ऊपर जीवनयापन कर रहे कुछ परिवार ऐसे है जिन्हें आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से जूझना पड़ रहा है, जिसके लिए विशेष ध्यान  देने की आवश्यकता है। 
उन्होंने कहा कि सरकार ने उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर फल एवं सब्जियां उपलब्ध करवाने के लिए हरियाणा राज्य कृषि विपनन बोर्ड के माध्यम से अपनी मण्डी नामक योजना शुरू की है जिसके तहत किसान अपना उत्पाद सीधे राज्य में स्थित 85 अपनी मण्डियों में लेकर आते है। इन मण्डियों की सहायता से उपभोक्ताओं को फल एवं सब्जियां सस्ती दरों पर उपलब्ध हो रही हैं। इस योजना से किसान और उपभोक्ता दोनों की लाभान्वित हो रहे हैं। 
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