राष्ट्रीय (03/07/2015) 
दर-दर भटक रही है शौर्य चक्र विजेता की वीरांगना
अनेक शिकायतों के बावजूद नहीं पसीजा हरियाणा विकास प्राधिकरण का सीना अधिकारियों के पास बैठक की प्रोसीडिंग तक नहीं है मौजूद कहीं सुनवाई न होने पर थककर टूट चुकी है वीरांगना
राष्ट्रपति से मांगा पदक लौटाने का समय 
कार्रवाई न होने पर सीएम आवास पर भूख हड़ताल पर बैठने की दी चेतावनी 
रेवाड़ी । वैसे तो सरकार आए दिन शहीदों के उत्थान को लेकर लंबे-चौड़े दावे करती है, लेकिन धरातल में वास्तविकता कुछ और ही है। यही कारण है कि शौर्य चक्र विजेता वीरांगना न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोंकरे खाने को मजबूर है, लेकिन सरकार की कुंभकर्णी नींद नहीं टूटी। अब वीरांगना ने उसकी बहादुरी के लिए मिले पदक को लौटाने के लिए राष्ट्रपति से समय मांगा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी के सैक्टर चार में रहने वाले शौर्य चक्र विजेता ले. कर्नल पीके यादव की वीरांगना उर्मिला यादव की, जिसने वर्ष 2010 में डिफेंस कोटे से आईओसी के पास पैट्रोल पंप के लिए आवेदन किया था। इस पर आईओसी ने तीन वर्षों तक आवेदन को अपने पास ही दबाकर रखा। 5 सितंबर 2013 को हरियाणा विकास प्राधिकरण (हूडा) ने रेवाड़ी के सैक्टर 18, 19, 20 व 25 तथा धारूहेड़ा कस्बे के सैक्टर 4ए व 6 में पैट्रोल पंप की साइट लीज पर देने का विज्ञापन दिया था। आईओसी ने अपनी तरफ से सैक्टर 19 में पैट्रोल पंप के लिए डिफेंस कोटे से उर्मिला यादव का नाम अपनी भेजी गई लिस्ट में सबसे पहले दर्शाया। 26 नवंबर 2013 को हूडा की एक जोनल कमेटी, जिसमें एडमिस्टे्रटर हूडा मुख्य रूप से मौजूद थे। जोनल कमेटी की बैठक में उर्मिला यादव व बसंत यादव के नाम पर रेवाड़ी के सैक्टर 18 व धारूहेड़ा के सैक्टर 4ए का पैट्रोल पंप अलाट कर दिया। वीरांगना उर्मिला यादव पैट्रोल पंप को अपने नाम पर अलाट मानकर चल रही थी, लेकिन उसे झटका उस वक्त लगा जब उसे यह पता लगा कि यह पैट्रोल पंप उसे नहीं किसी अन्य उर्मिला को अलाट कर दिया गया है। सकते में डालने वाली बात तो यह रही कि जिस दूसरी उर्मिला के नाम पर पैट्रोल पंप अलाट किया गया उसका नाम तो आईओसी ने अपनी सूची में भेजा तक नहीं था। 
खूब हुआ गबड़बड़झाला:
वीरांगना उर्मिला यादव ने इस मामले में हुए गड़बड़झाले को लेकर जो आरटीआई मांग और उसमें जो खुलासे हुए उसने पूरे हूडा विभाग के पूरे खेल कर परतें खोलकर रख दी। आरटीआई से मिली जानकारी में सामने आया कि आईओसी ने सैक्टर 19 में पैट्रोल पंप के लिए प्राथमिकता के आधार पर 12 लोगों की सूची भेजी थी। इस सूची में डिफेंस कोटे से वीरांगना उर्मिला यादव का नाम सबसे ऊपर था। जिस बसंत यादव के नाम पर हूडा ने धारूहेड़ा के सैक्टर 4ए में पैट्रोल पंप अलाट किया है उस बसंत यादव का नाम सैक्टर 19 में ही उर्मिला यादव के बाद था। बड़ा सवाल यही है कि जब बसंत यादव का नाम आईओसी ने सैक्टर 19 की सूची में भेजा था तो उसे धारूहेड़ा के सैक्टर 4ए में पंप कैसे अलाट किया गया। वहीं सूची में सबसे ऊपर नाम होने के बावजूद उर्मिला यादव को पैट्रोल पंप अलाट नहीं हुआ। वीरांगना उर्मिला यादव की जगह दूसरी उर्मिला को सैक्टर 18 में पंप अलाट हुआ है। उसका नाम तो आईओसी ने अपनी सूची में भेजा तक नहीं था। इसके अलावा दूसरी उर्मिला यादव कोई वीरांगना नहीं बल्कि जरनल कोटे से है। आईओसी ने सैक्टर 18 के लिए प्राथमिकता के आधार पर जिन 10 लोगों के नाम भेजे थे उनमें से किसी एक को भी पंप अलाट नहीं किया गया।
बैठक की प्रोसीडिंग तक नहीं है मौजूद:
वीरांगना उर्मिला यादव ने हूडा कार्यालय में जाकर जब यह पता लगाया कि आखिर इन लोगों को किस आधार पर पंप अलाट किया गया तो उसे पता लगा कि पंप अलाटमेंट के लिए जो बैठक हुई थी उसकी कोई प्रोसीडिंग तक मौजूद नहीं है। अधिकारियों के पास इसका भी कोई जवाब नहीं है कि किस आधार पर उन्होंने पंप अलाट किए।
राष्ट्रपति से मांगा मैडल वापस करने का समय:
भ्रष्टाचार के खिलाफ वीरांगना उर्मिला यादव बीते दो सालों से लड़ रही है। दर्जनों बार हूडा विभाग को शिकायत दी गई और कई बार सीएम विंडो को भी खटखटाया। उर्मिला यादव का कहना है कि आज तक उसका किसी भी शिकायत का न तो हूडा विभाग ने कोई जवाब दिया और न ही सीएम विंडो से ही कोई जवाब मिला। अब वह लड़ते-लड़ते थक चुकी है। अब वीरांगना राष्ट्रपति से अपने पति का शौर्य चक्र वापस लौटाने के लिए समय मांग रही है। अगर एक माह के दौरान उसे न्याय नहीं मिला तो वह अपने दोनों बेटों के साथ सीएम आवास के बाहर भूख हड़ताल पर बैठेगी। अब देखना होगा कि क्या इस वीरांगना को न्याय मिल पाएगा या फिर वह थक हारकर बैठ जाएगी।
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