राष्ट्रीय (16/06/2015) 
गोद लेने के बाद एक बार भी विधायक ने नहीं ली गांव की सुध
दर्जा आदर्श गांव का, लेकिन समस्याओं का दौर जारी 

कैथल:-  मात्र आदर्श गांवों का कागजों में दर्जा देने की घोषणा के बाद व गांव को गोद लेने के बाद ना तो हलका विधायक प्रो. दिनेश कौशिक ने गांव पाई में जाना मुनासिब समझा है और ना ही कभी सुध ली है, की गांवों में क्या समस्याएं पनप रही है इसके बारे में जानना उचित नहीं समझा। मजे की बात तो यह है कि पाई गांव को विधायक द्वारा गोद लिए जाने की बात आधे से ज्यादा गांव के लोग नहीं जानते। गांव पाई में आज के समय में सैंकड़ों समस्याओं ने जन्म लिया हुआ है। गांव की सबसे बड़ी समस्या पानी निकासी की है, जोकि मुख्यमंत्री द्वारा पूरी कर दी गई। लेकिन गांव के प्रतिनिधि सरपंच इन्द्रावती ने बताया कि उनके द्वारा गांव में कार्य शुरू करने के लिए विधायक से बात की गई तो विधायक ने बजट न होने की बात कहीं। वहीं गांव के प्रतिनिधि सरपंच इन्द्रावती के पति बलबीर सिंह फौजी ने बताया की यदि जल्द ही पानी निकासी का कार्य शुरू नहीं किया गया तो यह कार्य पूरे 1 वर्ष बाद शुरू होगा। क्योकि किसानों के द्वारा खेतों में धान की फसल लगाने का कार्य शुरू होने वाला है और इसमें कार्य नहीं हो सकता। लोगों का कहना है कि इसमें गांव को आर्दश गांव बनाने के लिए विधायक को कड़ी मेहनत करने के साथ स्वयं गांव में आकर गांव में पैदा हो चुकी समस्याओं का निदान करने के लिए समस्याओं से परिचित होना पड़ेगा।
समस्याओं के निवारण के लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही-कौशिक इस बारे में हलका विधायक प्रो. दिनेश कौशिक ने बताया कि गांव में पनपी समस्याओं के निवारण के लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है और गांव में सरकार, प्रशासन व जनता के सहयोग से हर समस्या का योग्यता व प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा। बाक्स आधे से ज्यादा गल्लियां नहीं पक्की पाई को जहां आर्दश गांव बनाने के लिए विधायक द्वारा उसको गोद लिया हुआ है, वहीं विधायक के गांव में आज के समय में भी आधे से ज्यादा लगभग 100 से 150 गल्लियां ईंटों की बनी हुई है। और कुछ गल्लियां तो आज भी रेत, मिट्टी की बनी हुई है। गल्लियां कच्ची होने की वजह से जहां लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है वहीं पानी निकासी न होने की वजह से ग्रामीणों के घरों में पानी भी चला जाता है। और इसी के कारण आज कई ग्रामीणों के घरों में दरारें भी आनी शुरू हो गई है। 
गांव में जो बस स्टैंड स्थित है वहां बस स्टैंड न होकर निजी वाहन चालकों व अवारा पशुओं का घर बना हुआ है। स्टैंड की कोई चारदिवारी नहीं है और न ही रेडवेज की कोई बस स्टैंड के अंदर जाती, क्योंकि अंदर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। सभी रास्तें गंदे पानी से भरे पड़े है। ऐसा नहीं है की गांव की पंचायत के द्वारा स्टैंड की इस हालत के बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत नहीं कराया गया। पंचायत ने अपने द्वारा स्टैंड की हालत से उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया था। लेकिन बजट न होने की वजह से आज तक कार्य पूरा नहीं हो पाया।
गांव पाई में जहां वोट डालने वालों की संख्या ज्यादा है वहीं उससे भी ज्यादा गांव में गंदगी होने की वजह से आज गांव में बीमार लोगों की है। ऐसा नहीं है कि गांव में फैल रही बीमारियों के बारे में प्रशासन को पता नहीं है। लेकिन सब पता होने के बाद भी प्रशासन द्वारा गांव में फैल रही बीमारियों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया। गांव में बीमारियों के फैलने का कारण गल्लियों में सालों से खड़ा गंदा पानी है। गंदे पानी की वजह से आज ग्रामीण अनेक बीमारियों की चपेट में आ चुके है। बीमारियों का इलाज करने वाले डाक्टरों की कमी भी पाई स्थित अस्पताल में देखी गई। आज पाई स्थित अस्पताल में दांतों का इलाज करने के लिए कोई भी डाक्टर नहीं है और इसके साथ अस्पताल में दवाईयों का टोटा तो कई दिनों से चला आ रहा है। लेकिन इसके बाद भी प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा। 
राजकुमार अग्रवाल 
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