राष्ट्रीय (15/06/2015) 
आखिर आ ही गया ऊंट पहाड़ के नीचे
नगर परिषद के 3 अधिकारियों समेत 6 लोगों पर केस दर्ज
नप सचिव, एमई व जेई समेत कांप्लेक्स मालिकों पर हुआ केस दर्ज
मुख्यमंत्री ने दिए थे मामले की जांच के आदेश
सिनेमाहाल को तोडक़र बनाया जा रहा था बहुमंजिला कांप्लेक्स
कांप्लेक्स के निर्माण हुई थी 96 लाख के स्टांप ड्यूटी की चोरी
एसडीएम की जांच रिपोर्ट में हुआ था इस गोलमाल का खुलासा
जिलास्तर पर ही कर डाला इंटरटेनमेंट का लाईसैंस रद्द
रेवाड़ी । रेवाड़ी नगर परिषद में आए दिन हो रहे घोटालों के बाद आखिर अब कार्यवाही की बारी भी शुरू हो गई है। पिछले करीब डेढ़ वर्ष से चर्चाओं में रहे बहुमंजिला शापिंग कांप्लेक्स मामले में एसडीएम की जांच के बाद नगर परिषद के आला अधिकारियों सहित गोलमाल करने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हो गई है। केस दर्ज होने के बाद नगर परिषद के अधिकारियों में बेचैनी शुरू हो गई है और हर कोई अपनी गर्दन को बचाने में लग गया है।
हम आपको बता दें कि रेवाड़ी नगर परिषद अपने घोटालों को लेकर लगातार सुर्खियों बनी हुई है, लेकिन अब शायद कार्यवाही की बारी आ ही गई। करीब डेढ़ वर्ष से लगातार सुर्खियों में रहा बहुमंजिला कांप्लेक्स के मामले में अब एसडीएम की जांच रिपोर्ट के बाद शहर थाना पुलिस ने नगर परिषद के पूर्व सचिव, कार्यकारी अभियंता व कनिष्ठ अभियंताओं तथा राधा गुप्ता, अनिल कुमार, मुरारीलाल सहित इस मामले से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ एक दर्जन से अधिक धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। मगर अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। केस दर्ज होने के बाद अधिकारियों में हडक़ंप की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि नप से जुड़े किसी घोटाले में अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ हो।
क्या था मामला:
शहर के सरकुलर रोड पर सरकार से सीएलयू लिए बिना ही वर्षों से चले आ रहे एक सिनेमाहाल को तोडक़र अवैध रूप से एक बहुमंजिला कांपलेक्स का निर्माण किया जा रहा था। करीब 5 माह पूर्व इस मामले में उस समय नया मोड़ आ गया जब उपायुक्त के आदेश पर बावल के एसडीएम ने मामले की जांच करके अपनी रिपोर्ट में 96 लाख रूपए के राजस्व की चोरी होने की पुष्टि करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की सिफारिश की। एसडीएम की इस जांच के बाद एक बार जरूर इस मामले से जुड़े अधिकारियों में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन जैसे-तैसे उस वक्त मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक शहर के इस प्रभावशाली व्यक्ति होटल मालिक अनिल कुमार व कुछ अन्य लोगों ने असल तथ्यों को छिपाते हुए प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत करके गलत वसीकाएं पंजीकृत करवा ली और नक्शे से अधिक जमीन पर अवैध रूप से निर्माण करके सिनेमाहाल की जमीन का सीएलयू लिए बिना ही उसे व्यवसायिक कांपलेक्स में तबदील कर दिया। इस मामले में सरकार को करीब 96 लाख रूपए के राजस्व का चूना लगा दिया। इस प्रभावशाली व्यक्ति ने प्रशासनिक अधिकारियों से मिलीभगत करके सरकार से सीएलयू लिए बिना ही मुख्य रोड पर स्थित इस कामर्शियल भूखंड को रिहायशी बताकर न केवल उसकी रजिस्ट्री करवा ली, बल्कि उस पर प्लाटिंग करते हुए अवैध रूप से बहुमंजिला कामर्शियल कांपलेक्स का निर्माण भी शुरू कर दिया। इस मामले न केवल लाखों के स्टांप ड्यूटी की चोरी की गई, बल्कि नगर परिषद में जो नक्शे लगाए गए हैं उनमें भी भारी गोलमाल पाया गया।
साथ ही नगर परिषद में जो नक्शे लगाए गए हैं, उतनी जमीन में 10-10 दुकानों का निर्माण किया गया। वहीं नक्शे 2 मंजिल के लगाए गए हैं और निर्माण 5 मंजिल तक कर दिया गया। जबकि अगर अलग-अलग नक्शे लगाए जाते तो नगर परिषद को मोटी रकम राजस्व में रूप में मिल सकती थी। इतना ही नहीं, इस जमीन पर जो दुकानें बनाई जा रही हैं उनमें सौ प्रतिशत बेसमेंट का निर्माण भी किया जा रहा है। वहीं इस मामले में मजेदार बात यह है कि जिलास्तर पर ही सिनेमाहाल के इंटरटेनमेंट लाईसैंस को रद्द कर दिया गया। जबकि नियमानुसार जिलास्तर के अधिकारियों को इस तरह का लाईसैंस रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है।
जबकि नियमानुसार रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 82 के तहत आपराधिक कार्रवाई बनती है। इसलिए जांच रिपोर्ट में एसडीएम ने आरोपी व्यक्ति से यह राशि एकमुश्त वसूल करने की सिफारिश भी की थी। वहीं यह सलाह भी दी गई कि नगर परिषद अधिकारियों द्वारा पास किए गए नक्शों की एक बड़ी जांच राज्य चौकसी विभाग से कराई जाए। यह जांच भी राज्य चौकसी विभाग के पास विचाराधीन है। वहीं जांच में अधिकारियों को लपेटा गया है, लेकिन बड़ी मछलियां अभी भी पकड़ से बाहर हैं, जिनके इशारों पर अधिकारियों ने इतना बड़ा गोलमाल कर दिया। अब देखना यह होगा कि सरकार बड़ी मछलियां की गिरेबान तक हाथ डाल पाती है।
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