राष्ट्रीय (10/06/2015) 
बाढ़ नियंत्रण के लिए 100 करोड़ रूपए के बजट का प्रावधान- धनखड़

हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया कि राज्य सरकार ने बाढ़ नियंत्रण के लिए 100 करोड़ रूपए के बजट का प्रावधान किया है।

वे पंचकुला के किसान भवन में कृषि विभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय आपदा प्रबंधन शिविर के बाद मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। प्रदेश में मानसून जल्द आने पर सरकार द्वारा किए गए प्रबंधों के प्रश्र का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा सामान्य परिस्थितियों के अनुसार अपनी तैयारी रखती है।

यूरोप दौरे के अनुभव एवं उससे किसानों को होने वाले लाभ का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि फ्रांस में पेरिस के समीप यूरोप की सबसे बड़ी थोक मण्डी रंगिस व फल-फूल के मामले में निजी क्षेत्र की बड़ी सेंट चाल्र्स की मण्डी में अनके विशेष बातें देखी। इस यात्रा को उन्होंने हरियाणा में किसान व कृषि के लिए फायदेमंद व उपयोगी बताया। उन्होंने बताया कि रंगिस मण्डी में डेयरी उत्पाद, मांस, फल, फूल व सब्जी आदि की सबसे बड़ी थोक मण्डी का टर्नओवर करीब 57 हजार करोड़ रुपए का है। इस मण्डी से यूरोप के अधिकांश देशों में यह उत्पाद सप्लाई किए जाते है। इसी प्रकार निजी क्षेत्र द्वारा संचालित की जाने वाली फल व फूल की दूसरी बड़ी मण्डी सेंट चाल्र्स, हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट व स्विटजरलैंड के ज्यूरिख शहर की मण्डी का भी उन्होंने दौरा किया। उन्होंने देखा कि अधिकांश मंडियों में अनेक महत्वपूर्ण खासियतों जैसे कोल्ड स्टोर, पैकिंग, पैकेजिंग, परिवहन, कचरा प्रबंधन व बिजली आपूर्ति आदि पहलुओं को देखने का अवसर मिला। साथ-साथ हर मण्डी में थोक विक्रेताओं के साथ किसानों को भी अपने उत्पाद सीधे विक्रेता तक बेचने का स्पेस उपलब्ध कराया गया था। जिसके चलते यह बात कही जा सकती है कि अब हरियाणा के किसान को प्रौद्योगिकी के साथ-साथ प्रबंधन की कला भी सीखनी पड़ेगी।

धनखड़ ने बताया कि यूरोप की मंडियों में वेस्ट मैनेजमेंट बेहद अच्छी है। उन्होंने बताया कि किसी भी मण्डी में वेस्टेज एक प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। हर मण्डी का ऐसा मॉडल था कि उत्पाद की किसान से थोक व रिटेल विक्रेता तक पहुंचने का पूरा रिकार्ड, हर मण्डी अपनी जरूरतों के मुताबिक ऊर्जा की खपत सोलर तकनीक के माध्यम से करती है साथ ही हर मण्डी में परिवहन व्यवस्था बेहद प्रभावशाली थी।

हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में आयोजित चार दिवसीय विश्व थोक सम्मेलन (वल्र्ड होलसेल कांफ्रेंस) में भी भागीदारी करने का अनुभव सांझा करते हुए श्री धनखड़ ने बताया कि वहां की यूनिवर्सिटी में जल प्रबंधन के विशेष पाठ्यक्रम भी चलाए जाते है। जिससे वहां की नदियां आज भी जीवित है और अपनी आबादी के लिए पानी की जरूरतों को भी पूरा करती है। जबकि हमारे देश में नदियों का पारिस्थितिक बहाव भी संकट में है। उन्होंने बताया कि ऐसे पाठ्यक्रम हिसार स्थित कृषि विवि में चलाए जा सकते है।

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