नई दिल्ली । केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार का एक साल
पूरा होने जा रहा है। ऐसे में यूपीए और एनडीए सरकार के कार्यकाल की तुलना होना
लाजिमी है। हालांकि,
मोदी ने कई बार कहा कि जनता ने यूपीए सरकार को 60 साल दिए, मुझे काम दिखाने के
लिए 60 महीने का समय तो मिलना चाहिए। मगर, कहते हैं न कि पूत के पांव पालने में ही
दिखते हैं। ऐसे में मोदी सरकार द्वारा पहले साल में लागू की गई योजनाओं का ही
नतीजा आने वाले पांच वर्षों में देखने को मिलेगा। यूपीए की पहली सरकार के कार्यकाल पर पूर्व प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह ने खुद ही स्वीकार किया था कि कोयला घोटाला, 2 जी के आरोप
यूपीए-1 के समय लगे। कॉमनवेल्थ गेम्स, 2जी, कोल इन सबने सरकार की छवि को नुकसान
पहुंचाया। उन्होंने कहा कि कुछ गड़बड़ियां जरूर हुई हैं, लेकिन इन्हें सीएजी
और मीडिया द्वारा बहुत बढ़ा चढ़ाकर पेश किया है। वहीं, केंद्र में मोदी सरकार का एक साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन अभी तक उसके
किसी मंत्री पर या सरकार का किसी घोटाले का आरोप नहीं लग पाया है। यह मोदी सरकार
की बड़ी उपलब्धि है। विदेश नीति की बात की जाए तो मोदी सरकार ने अमेरिका, चीन, रूस जैसी
विश्व शक्तियों से संबंधों की नई इबारत
लिखने की कोशिश की है। गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर अमेरिकी
राष्ट्रपति बराक ओबाम का आना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। चीन के
राष्ट्रपति भी भारत आए और नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली की जगह गृहनगर अहमदाबाद
में उनका स्वांगत किया। इसकी प्रतिक्रिया चीन की ओर से भी देखने को मिली। मोदी की चीन
यात्रा के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने न सिर्फ प्रोटोकॉल तोड़कर मोदी का
स्वागत किया, बल्कि
राजधानी बीजिंग के बजाय अपने गृहनगर शियान में किया। चीन के दौरे पर जाने से पहले
ही रूसी राष्ट्र पति व्लाशदिमीर पुतिन ने मोदी को फोन कर रूस आने का निमंत्रण दे
दिया। वह खुद भी भारत के दौरे पर आ चुके हैं। नेपाल में भूकंप आने की खबर लगते ही मोदी ने राहत सामग्री
सहित बचाव कर्मियों को वहां राहत के लिए तत्काल रवाना कर दिया। खुद नेपाली
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हेंा भूकंप की खबर मोदी के ट्वीट से मिली। भूटान से भी
बेहतर संबंध की दिशा में आगे कदम बढ़ाया। यमन से भारतीयों को सुरक्षित निकालने में
विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने तत्परता दिखाते हुए कार्रवाई की। न सिर्फ
भारतीयों को निकाला बल्कि अन्य देशों के कुछ नागरिकों को भी अपने साथ ले आए। पाकिस्तान से गुजरात के मछुआरों की रिहाई का मार्ग सुनिश्चित
करवाया और उनकी जब्त हो चुकी नौकांए भी दिलवाईं। पूर्व की यूपीए सरकार में तो
मछुआरे नाव वापस हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखते रहे, लेकिन सुनवाई ही
नहीं हुई। मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क नेताओं को बुलाकर साफ कर दिया
कि भारत अपने पड़ोसी देशों से संबंधों को मजबूती देना चाहता है। मनमोहन सरकार विदेश
नीति के मामले में अपेक्षाकृत निष्क्रिय साबित हुई थी। मोदी सरकार ने देश की समस्याओं से जुड़े गंभीर मसलों पर आगे
बढ़कर काम किया। कश्मीर में आई बाढ़ के समय मोदी ने खुद वहां जाकर हुए नुकसान की
जानकारी ली और मदद पहुंचाई। छतीसगढ़ के दंतेवाड़ा में माओवादियों के गढ़ में जाकर
उन्होंने संकेत दिया कि सरकार इस क्षेत्र में विकास करना चाहती है। जबकि
पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में माओवादियों से निपटने की रणनीति को लेकर पूछे गए सवाल
पर पी.चिदंबरम और दिग्विजय सिंह में सार्वजिनक रूप से तकरार हुई थी। अर्थव्यवस्था अब वापस पटरी पर आ रही है। रक्षा और बीमा
क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ाने की अनुमति दे दी गई है। इसके चलते रोजगार
के अवसर बढ़ने की संभावना है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने जहां मनरेगा और ऋण माफी
जैसे कदम उठाए थे। वहीं, एनडीए सरकार ने 12 रुपए सालाना और 330 रुपए सालाना की दो बीमा
योजनाएं शुरू करके आम आदमी को राहत देने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री जनधन योजना
के जरिये जीरो बैलेंस से खाता खुलवाने की योजना को शुरू करवाकर हर नागरिक को
बैंकिंग व्यैवस्था से जोड़ने और बचत के लिए
प्रेरित करने की दिशा में अहम कदम उठाया है। 2004-05 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार बनी। यूपीए
का पहला कार्यकाल 2008-09 तक चला। यूपीए एक के दौरान प्रति व्यक्ति जीडीपी में
बढ़ोतरी की वार्षिक दर 2.7 फीसद से 6.8 फीसद तक पहुंच गई। प्रति व्यक्ति आय की दर
में 69 फीसद का इजाफा हुआ। यूपीए-1 में कांग्रेस को 2004 में 26.5 फीसद मत मिले
थे। वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल के पहले वर्ष में अनुमान लगाया
जा रहा है कि देश सात फीसद की विकास दर हासिल कर लेगा। पिछले लोकसभा चुनावों में
एनडीए को 39 तो भाजपा को 31 फीसद वोट मिले थे। मनमोहन सिंह के दौर में हालात बेहद
खराब हो गए थे। मुद्रास्फीति की दर बढ़ती जा रही थी। हालांकि, अब इस स्थिति पर
काबू पा लिया गया है। |