नई दिल्ली । मौसम विभाग
ने इस वर्ष मानसून के समय से आने की भविष्यवाणी की है। 30 मई को उसके केरल तट को
छू लेने का अनुमान है। आमतौर पर मानसून एक जून को आता है। ऐसे में इस साल यह तय
समय से सिर्फ 48 घंटा पूर्व होगा। हालांकि मानसूनी वर्षा औसत से कम हो सकती है। हाल में बेमौसम बारिश और
ओलावृष्टि झेल चुके किसानों के लिए फिलहाल थोड़ी राहत भरी खबर है। भारतीय मौसम
विभाग (आइएमडी) के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वर्ष मानसून अपने निर्धारित समय पर
आएगा। इसके दो दिन पहले या बाद आने से खेती के लिहाज से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
अगर यह अपनी तय रफ्तार से आगे बढ़ता रहा तो किसान अगले मौसम में अपनी बुआई समय से
कर सकेंगे। हालांकि मानसूनी हवाओं के
कमजोर रहने का अंदेशा है। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में की गई पहली भविष्यवाणी में
मौसम विभाग ने कहा था कि इस वर्ष औसत से कम बारिश होगी और इसका सबसे अधिक असर देश
के उत्तरी, पश्चिमी और मध्य भारत के किसानों की खेती पर पड़ेगा। केंद्रीय विज्ञान और
प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने पिछले महीने बताया था कि दीर्घकालिक मानसून के
औसत का 93 फीसद बारिश होगी। दूसरा पूर्वानुमान जून में
होता है, जो काफी सटीक होता है। मौसम विभाग ने पिछले साल के अपने पहले अनुमान में
मानसून के सामान्य से 95 फीसद रहने की बात कही थी, लेकिन वास्तविक बरसात 88 फीसद पर सिमट गई थी। प्रशांत महासागर में अल
नीनो के प्रभाव को देखते हुए इस तरह की आशंका पहले से ही जताई जा रही है। जून से
सितंबर के बीच भारत में होने वाली मानसूनी बारिश कुल बरसात की तीन चौथाई होती है।
खेती के लिहाज से यह बेहद अहम है। |