राष्ट्रीय (12/05/2015) 
नेपाल राहत बचाव कार्य से वापस लौटी हरियाणा के डाक्टरों के टीम
चंडीगढ - एक सप्ताह तक नेपाल के भुकंप प्रभावित क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्य चलाने के बाद वापिस लौटी हरियाणा के डाक्टरों की टीम वहां के हालात पर चिंता जताई है। टीम में शामिल डा. वैभव बिदानी ने बताया कि वहां पर भारी संख्या में इंसानों और पशुओं की मृत्यु होने से महामारी फैल चुकी है। अभी भी हजारों पशु दबे हुए हो सकते हैं। पानी दूषित हो चुका है। उन्होंने कहा कि नेपाल को इन हालातों से उबरने में कई वर्षो का समय लग सकता है। हरियाणा से 13 सदस्यों का यह दल 28 अप्रैल को नेपाल गया था जिनमें हिसार से डा. वैभव बिदानी, फरीदाबाद से राहुल जिंदल, सोनीपत से डा. धर्मवीर सिंह, अंबाला से डा. आरके चन्ना, पंचकूला से डा. पुष्कर, यमुनानगर से डा. कुलविंद्र, रोहतक से डा. सुरेश, रोहतक से डा. कुलदीप, हिसार से पवन, रोहतक से रवि, फरीदाबाद से अरविंद, भीम व खेमचंद शामिल थे। डा. वैभव बिदानी ने बताया कि जब वे भुकंप प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे तो वहां के हालात अत्यंत वीभत्स थे। वहां पर मुख्य रूप से गले की बीमारियों के मरीज सामने आए। इसके अलावा मकान व व्यवसायिक स्थल गिरने के कारण चोट लगने, हड्डियां टूटने के मरीज भी काफी संख्या में थे। अपने राहत व बचाव कार्य के दौरान इस दल ने लगभग 2273 मरीज देखे। दल ने लगभग 3 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित जलविरे गांव तथा यंगला कोट गांव की दुर्गम पहाडिय़ों में चिकित्सा शिविर लगाए। डा. वैभव बिदानी ने बताया कि इन क्षेत्रों के सभी रास्ते और लगभग 80 से 90 प्रतिशत मकान टूट गये है। जब वे इस क्षेत्र में पहुंचे तो उन्होंने वहां प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक महिला को गंभीर हालात में पाया। वहां कोई चिकित्सा सुविधा व अन्य जरूरी उपकरण मौजूद नहीं थे। टीम ने महिला व बच्चे का जीवन बचाने के उद्देश्य से उसकी डिलीवरी करवाने का निश्चय किया और टीम को अपने कार्य में सफलता भी मिली। महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया और टीम के आग्रह पर महिला व उसके परिजनोंं ने नवजात बच्चे का नाम आयुष भारत रखा। उन्होंने बताया कि गत 7 मई को नेपाल सरकार ने चिकित्सकों की टीमों का आभार व्यक्त करते हुए वापिस लौट जाने को कहा, जिस पर वे वहां से वापिस आ गए लेकिन उन्हे अंदेशा है कि आज दोबारा से वहां भुकंप आने के बाद हालात और ज्यादा बिगडे होंगे। दल के सदस्यों ने कहा कि यदि उन्हें फिर से वहां जाने की अनुमति मिलती है तो वे फिर वहां जाकर अपनी सेवाएं देने को तैयार है।
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