नई दिल्ली। अर्धसैनिक बल के जवानों के हित में केंद्र
सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत नक्सल विरोधी या किसी अभियान के दौरान
घायल या किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त जवान यदि अस्पताल में भर्ती है तो उसे ड्यूटी
पर माना जाएगा। इस अवधि का उसे पूरा वेतन मिलेगा। इससे देश के अर्धसैनिक बलों के
आठ लाख जवानों को लाभ होगा। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि अर्धसैनिक बलों ने मौजूदा
नियमों में बदलाव करने की मांग की थी। इसी के बाद मंत्रालय ने यह स्वीकृति दी है।
पहले अस्पताल में भर्ती जवान को ड्यूटी पर नहीं माना जाता था। इस निर्णय से अवगत
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सरकार ने इस बारे में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की मांग को
स्वीकृति दे दी है। हाल ही में सभी अर्धसैनिक बलों ने इससे जुड़े नियमों की
अधिसूचना भी जारी कर दी है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल
(बीएसएफ), इंडो
तिब्बत पुलिस बल (आईटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), केंद्रीय औद्योगिक
सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) जैसे संगठनों इसे लागू
भी कर दिया है। उस अधिकारी ने कहा कि यह लड़ाई में पुरुषों व महिलाओं का मनोबल बढ़ाने
वाला कदम है। इन बलों के अधिकारियों का कहना है कि वामपंथी चरमपंथ व
विद्रोह संभावित पूर्वाेत्तर के राज्यों में तैनात जवानों का लड़ाई के दौरान घायल
होना आम बात है। लगभग हर दूसरे दिन ऐसी घटनाएं होती ही रहती हैं। ऐसा कई बार हुआ
है कि जब उग्रवाद प्रभावित राज्यों में नियमित गश्त के दौरान बम विस्फोट या घात
लगाकर किए गए हमले में जवान घायल हो जाते हैं। ऐसे में कुछ हफ्ते से लेकर कुछ महीने तक अस्पताल में रहना
पड़ता है। जवानों को ड्यूटी पर होने पर भी अपने वेतन से वंचित होना पड़ता था। यह
अनियमितता अब ठीक कर ली गई है। जवानों को दुर्गम इलाके में तैनाती के कारण मलेरिया
और कॉलरा होने का खतरा बहुत अधिक होता है। बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी
जो विभिन्न क्षेत्रों में सीमा की रक्षा करते हैं, उनकी चौकियां अक्सर
बहुत दुर्गम इलाके में होती हैं। ऐसे में जवान अक्सर अस्पताल में भर्ती होते हैं
और उन्हें वेतन से वंचित होना पड़ता है। |