राष्ट्रीय (09/05/2015) 
क्या हुआ जब नेपाल में आया भूूकंप सुनिए पर्वतारोही राशिद की जुबानी

पर्वतारोही राशिद बृहस्पतिवार को नेपाल से सकुशल यमुनानगर के जगाधरी पहुंच गये। दिन भर उसे मिलने वालों का तांता लगा रहा। राशिद का कहना है कि वे अपनी माउंट एवरेस्ट यात्रा फिर शुरू करेंगे और देश का झंडा फहराएंगे। नेपाल सरकार से अनुमति मिलते ही वे फिर यात्रा शुरू करेंगे।

यात्रा के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए राशिद ने बताया कि नेपाल में भूकंप के समय वह कुमजुंग से बहुत आगे कैंप दो के लिए चल रहा था। अचानक धरती हिलने लगी। उन्होंने पीछे चल रहे गाइड चिरिंग शेरपा से जब पूछा तो उन्होंने बिना कुछ कहे उसे तेजी से पीछे खींच लिया। वे उसे सुरक्षित जगह ले जाने लगे। राशिद के अनुसार यदि एक पल की देर भी हो जाती तो वे सैकड़ों किलोमीटर गहरी बर्फ की खाई में समा जाते। यह खौफनाक मंजर याद करते ही वह सिहर उठता है। उन्होंने बताया कि मौसम इतना खराब था कि वे वापस कैंप नंबर एक में भी नहीं पहुंच पाए। रास्ता भटक गये। घंटों चलने के बाद कैंप पहुंचे। खराब मौसम और ठंड के कारण टैंट में दुश्वार हो रहा था। एक टैंट में सात सदस्यों को रहना पड़ा। माइनस -40 तापमान में रहना पड़ा। पता नहीं यहां से कब निकल पाएंगे, यहीं सोचकर दलिया व पैकड़ जूस थोड़ा-थोड़ा कर खा रहे थे। दो दिन बाद घंटों पैदल चलकर कैंप 1 में लौटे। यहां उन्हें रैस्क्यू किया गया। एक हेली में दो सदस्यों को बैठाया जाता था। राशिद के पिता यासीन महोम्मद व मां आसिया का कहना है कि सभी महफूज परिवारों के पास पहुंच गये, यह बहुत खुशी की बात है।

परवीन मौदगिल

Copyright @ 2019.