राष्ट्रीय (08/05/2015) 
इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन के आवाहन पर UP में हुआ हड़ताल का आयोजन
डाॅ. रोहित गुप्ता पर हमला करने वाले अपराधी जमानत पर रिहा हो चुके है क्योकि उन पर किसी उपयुक्त धारा जैसे कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट व आई पी सी की धारा 325 के अन्र्तगत मामला दर्ज नही किया गया था और वो सभी चिकित्सक जो इस घ्रणित कार्य का विरोघ कर रहे थे व पुलिस से अपराधियो को पकड़ने की मांग कर रहे थे, उन पर पुलिस ने FIR दर्ज कर दी है।
इलाहाबाद मे आन्दोलन बन्द करने के बाद प्रशासन के वायदे के बावजूद ये FIR अभी तक वापिस नही ली गयी है।
छूसरी घटना गाजीपुर मे हुई जिसमे सड़क दुर्घटना मे हुई मौत के बाद कुछ बदमाशों ने अस्पताल को बर्बाद कर दिया और पुलिस ने दबाव मे आकर डाॅ राजेश सिंह और उनकी पत्नी अनुपमा सिंह पर FIR दर्ज कर दी।पिछले साल मेडिकल छात्रो पर भयानक हमला हुआ और अपराधियो को सजा नही मिली जब कि पीडि़त डाॅ आरती लालचंदानी (कानपुर) को G .S .V .M मेडिकल कालिज से निलंबित कर दिया गया।
इसलिये ज्यादातर चिकित्सको मे यह भावना आ गयी है कि हमारी कोई आवाज नही है और कोई हमारी सुनने वाला नही है बल्कि वो बदमाशों के लिये जिन्हे राजनैतिक सहयोग प्राप्त है, बहुत आसान लक्ष्य बन गये है साथ ही साथ सरकारी कर्मी भी हमारा शोषण कर रहे है। ऐसी घटनाये उत्तर प्रदेश मे दिन प्रतिदिन बढती जा रही है और चिकित्सक समुदाय प्रदेश की न्याय व्यवस्था से अपना भरोसा खो रहा है। ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराघी भय मुक्त हो कर मजे कर रहे है और दूसरी तरफ चिकित्सक बड़े दवाब के कारण अपने कार्य पर ध्यान नही दे पा रहे है बल्कि वो डर मे जी रहे है।
इन्ही सब कारणों के चलते चिकित्सक समुदाय को सड़क पर उतर कर आन्दोलन करने के लिये मजबूर होना पड़ा है।प्रशासन ने हमारी उपयुक्त पहली दो मांगे मान ली है और इसके लिये जरूरी अध्यादेश 5 मई 2015 को जारी कर दिये है लेकिन तीन मंाग अभी श्ेाष है जिससे उत्तर प्रदेश मे चिकित्सको की सलामती और सुरक्षा के प्रति प्रशासन की निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगता है। परन्तु प्रशासन का साकारात्मक रूख देखते हुए आई. एम. ए. यू़. पी. स्टेट इस चेतावनी के साथ यह सांकेतिक हडताल समाप्त कर रहा है कि सरकार 20 दिन में हमारी बाकी मागों पर ठोस कार्यवाही करेगी। अन्यथा मजबूरन आई. एम. ए. यू़. पी. स्टेट पुनः आन्दोलन करेगा।
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