नई दिल्ली । केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति
ईरानी ने देश में संविधान की मर्यादा के भीतर ही शिक्षा दिए जाने का भरोसा दिया
है। उन्होंने शिक्षा का भगवाकरण करने के आरोपों को खारिज कर दिया है। साथ ही नई
शिक्षा नीति बनाने में राज्यों से भागीदारी करने का आह्वान करते हुए सोमवार को कहा
कि सब मिलकर देश की तकदीर लिखेंगे। ईरानी अपने मंत्रालय की अनुदान मांगों पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब दे रही थीं। कहा, 'पूर्व में शिक्षा नीति कुछ गिने-चुने लोगों की सलाह के आधार पर ही बनाई जाती थी। हमें जिलों के जरिये ब्लाकों तक पहुंचना होगा। राज्यों से वार्ता कर पारस्परिक विचाम-विमर्श के साथ नई शिक्षा नीति बनानी है।' शिक्षा का भगवाकरण होने की कांग्रेस सदस्यों की आशंकाओं पर
ईरानी ने कहा, 'संविधान की
मर्यादा में रहकर ही शिक्षा दी जाएगी।' उन्होंने बताया कि सरकार ने शिक्षकों के
प्रशिक्षण के लिए 900 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। विद्यालयों में शौचालयों के
संबंध में उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर राशि आवंटित की गई
है। उन्होंने सभी सांसदों से जिलाधिकारियों से इस संबंध में जानकारी लेने का
अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री ने अपने मंत्रालय के उन दो विवादास्पद
निर्णयों का भी बचाव किया, जिनमें चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) को रद करने
तथा आईआईटी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाह लेने को कहा गया था।
उन्होंने स्वायत्त उच्च शिक्षण संस्थानों में मंत्रालय के
हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने छात्रों के हितों और
नियमों के अनुरूप काम किया है। भारतीय इतिहास शोध परिषद (आईसीएचआर) में जो
नियुक्तियां की गई हैं, उनमें कोई पक्षपात नहीं किया है। ऐसे लोगों को रखा गया है जो
अलग-अलग विचारधारा तथा अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। इस संबंध में उन्होंने
पूर्वी राय, सच्चिदानंद
सहाय और संतोष मोहन देव का नाम लिया। |