(04/01/2017) 
योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया ने भारत और विश्व भर में शताब्दी समारोह के शुभारम्भ की घोषणा की
नई दिल्ली। भारत की सबसे प्राचीन आध्यात्मिक और परोपकारी संस्था योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाई.एस.एस.) ने भारत और विश्व भर में शताब्दी समारोह के शुभारम्भ की घोषणा की। इस मौके पर स्वामी ईश्वरानंद गिरि (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य) और श्री के. एन. बक्शी (जो स्वीडन, नॉर्वे और इराक में भारत के राजदूत रह चुके हैं) ने अपने विचार व्यक्त करे। विशिष्ठ पदाधिकारियों ने शताब्दी समारोह की घोषणा वर्ष 2017 के दरम्यान होने वाले कार्यक्रमों के विवरण और आगामी कुछ वर्षों के मानचित्र पर चर्चा के साथ की।

 नियोजित कार्यक्रमों पर विवरण  देते हुए, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य स्वामी ईश्वरानंद जी ने कहा ‘आज का यह विशिष्ठ अनुष्ठान न केवल हमें योगदासत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया की शतवर्षीय यात्रा के पूरे होने के उत्सव को मनाने का अनूठा अवसर प्रदान करता है, बल्कि साथ ही हमारे पूज्य गुरुदेवश्री श्री परमहंस योगानंद जी के भारत और विश्वभर को अर्पित योगदान की सराहना भी करता  है। गुरुदेव की शिक्षाओं के अधीन, इस सोसाइटी में आज सम्मिलित हैं कुछ विशाल आश्रम, स्फूर्तिमान और संख्या में वर्धमान संस्यासीगण, और देशभर में फैले हुए दो सौ से भी अधिक ध्यान-केंद्र ध्मंडलियाँ  - साथ ही कई शैक्षणिक संस्थाएं और परोपकारी सेवाएं।
1917 में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाई.एस.एस.) के नाम से स्थापित होकर, आज इस संस्था ने विदेशों में भी पदार्पण किया है।  1920 में श्री परमहंस योगानंदजी ने अमेरिका  में सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप (एस.आर.एफ) की स्थापना की -लॉस एंजिल्स में इसका मुख्यालय बनाकर - जो आज भी अपनी आध्यात्मिक विरासत के लिए विश्वभर में क्रियाशील  है। गुरुदेव ने  अमेरिका में 30 वर्षों से भी अधिक समय बिताया, क्रिया योग के विज्ञानं और इसकी ध्यान परंपरा का विस्तार करते हुए। 
  भारत में महात्मा गाँधी और उनके कुछ अनुयायियों ने क्रिया योग में दीक्षा लेने का उनसे अनुरोध किया।  आज गुरुदेव  श्पश्चिम में योग के पिताश् की तरह सम्मनित हैं और  कई विशिष्ठ व्यक्तियों की गणना उनके अनुसरणकर्ताओं में  होतीहै जैसे कि वनस्पतिज्ञ लूथर बरबैंक, कोडक कैमरा के अन्वेषक जॉर्ज ईस्टमैन, अभिनेता डिक  हेमिस, बीटल्स के  मुख्य गिटार-वादक जॉर्ज हैरिसन, दिवंगतसितारवादक श्री रविशंकर, पूर्णतावादी स्वास्थ्य के विशेषज्ञ दीपक चोपड़ा, आदि। उनकी शिक्षाएँ एवं उनके कार्य - दोनों ने ही समय चुनौतियों का सामना किया है।  श्री श्री परमहंस योगानंद जी की जीवनी आज हॉलीवुड की फिल्म ‘अवेक‘ द लाइफ ऑफ योगानंद ’  का विषय है ।  ऑस्कर-मनोनीत फिल्म-निर्माता पाओला दी फ्लोरिओ  और लिसा लीमन द्वारा निर्देशित यह डॉक्यू-फीचर फिल्म  भारत में 2016 के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के पहले रिलीज हुई थी।  इन  दो संस्थाओं - योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाई.एस. एस.) और सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप (एस.आर.एफ) - के माध्यम से आज भीश्री योगानंद जी का कार्य प्रगति पर है। इनके विश्वभर में पांच सौ से भीअधिक  केंद्र हैं एवं सभी महादेशों में इनके शिष्य फैले हुए हैं।  
श्री श्री परमहंस योगानंद जी का मौलिक ध्येय था आधुनिक मानव को, विशेषकर जो पश्चिम में रहते हैं उनको, भारत के पुरातन दर्शन और  वैज्ञानिक ध्यान प्रणालियों से अवगत कराना।पश्चिम के हजारों लोगों को व्यक्तिगत रूप से शिक्षा देने के अलावा, उन्होंने जनसाधारण के लिए योग-विज्ञानं को उपलब्ध कराया उनके आध्यात्मिकगौरव-ग्रन्थ ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी’ के माध्यम से (यही वह एक मात्रपुस्तक है जो स्टीव जॉब्स के व्यक्तिगत आईपैड में थी) और जो 13 भारतीय भाषाओँ सहित विश्वभर में 45 भाषाओं में अनुवादित हो चुकी है ।

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