राष्ट्रीय (26/02/2013) 
मास्टर विजय के धरने को सत्रह वर्ष पूरे

लिम्बा बुक के नये संस्करण में मास्टर का धरना हुआ अंकित..

मुजफ्फरनगर। भ्रष्टाचार एवं भू-माफियाओं के विरूद्ध गत 17 वर्षाे से लगातार धरनारत् मास्टर विजय सिह के धरने को लिम्का बुक आफ रिकार्डस ने अपने 2013 के सस्करण में भी दर्ज किया। इससे पूर्व लिम्का बुक आफ रिकार्डस ने उक्त अहिंसात्मक धरने को सन् 2011 में दर्ज किया था। लिमका बुक आफ रिकार्डस द्वारा जारी प्रमाण पत्र मास्टर विजय सिह को कोरियर से मिला है। इस अहिंसात्मक धरने को 17 वर्ष मंगलवार (आज) को पूरे हो रहे हैं। 
ज्ञात रहें भ्रष्टचार और भूमाफिआयों के विरूद्ध मास्टर विजय सिह गांधीवादी धरना 26 फरवरी 1996 मंे शुरू हुआ था। धरने के माध्यम से मास्टर विजय सिह की मांग थी कि उनके गांव की लगभग डेढ़ सौ करोड़ रूपये की चार हजार बीघे सार्वजनिक भूमि भूमाफियाओं से कब्जामुक्त कराकर प्रशासन उसे सार्वजनिक कार्याे हेतु अथवा गरीबों की सहायतार्थ बांटने की मांग को लेकर बैठे हुए है। मास्टर विजय सिह का मानना है कि प्रदेश के लगभग सभी गांव एवं शहरांे में इस तरह की जमीन काफी मात्रा में है जो भ्रष्टाचार के तहत भ्रष्ट अधिकारियों व नेताआंे की मिलीभगत से अवैध कब्जे की शिकार हो गयी है। आज भी जनपद शामली एवं मुजफ्फरनगर में लगभग सात लाख बीघे भूमि पर अवैध कब्जा है। जिससे कब्जा हटवाने की मांग लगातार उठती रही है। मास्टर विजय सिंह के प्रकरण में अभी तक 3200 बीघे भूमि पर अवैध कब्जों की पुष्टि विभिन्न जांचों में हो चुकी है तथा तीन सौ बीघे भूमि अवैध कब्जे से मुक्त भी कराई जा चुकी है। चैबीस घंटे सर्दी, गर्मी बरसात में चल रहे मास्टर विजय सिह के धरने के परिणाम स्वरूप एक सौ छत्तीस मुकदमे दर्ज कराये गये तथा इक्सायी हजार रूपये राजकोष में जमा हुए शेष भूमि को कब्जा मुक्त कराने हेतु उक्त अहिंसात्मक संघर्ष जारी है। हालांकि आर्थिक तंगी एवं असुरक्षा के कारण उक्त 136 मुकदमों की पैराकारी बाधित है।
दिनंाक 28 अपे्रल 2012 को मास्टर विजय सिह ने लगातार उन्नीस दिनों की पद यात्रा कर उक्त प्रकरण में प्रदेा के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी से लखनऊ में भेज की थी। जिसमें उन्होने अपने गांव एवं प्रदेश के अन्य समस्त गांवो की सार्वजनिक भूमि को कब्जामुक्त कराने की मांग की थी। जिस हेतु माननीय मुख्यमंत्री ने एक जांच समिति गठित की थी।
मंगलवार 26 फरवरी को मास्टर विजय सिह को कलक्टेट में धरना देते हुए 17 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जिसे लिम्का बुक आॅफ रिकाॅडर्स एवं इंडिया बुक आफ रिकार्डस अपने संस्करणों में दर्ज कर चुका है।

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